मृत्यु भी धर्म का पुण्य नहीं छीन सकती है- स्वामी सत्यानंद सरस्वती महाराज, चातुर्मास धर्म सभा प्रवाहित

Neemuch headlines September 13, 2023, 5:17 pm Technology

नीमच । मनुष्य जीवन में व्यक्ति दूसरों की मृत्यु देखने के बाद भी अपनी मृत्यु को याद नहीं करता है। धन संपत्ति वैभव सब यहीं संसार में रह जाते हैं। पुण्य परमार्थ के कर्म ही व्यक्ति के साथ रहते हैं।

मृत्यु भी धर्म का पुण्य नहीं छिन सकती है। यह बात स्वामी सत्यानंद सरस्वती महाराज ने कही। वे ग्वालटोली श्री राधा कृष्ण मंदिर में चंद्रवंशी ग्वाला समाज के मार्गदर्शन में कथा श्रीमद् भागवत सेवा समिति की उपस्थिति में आयोजित श्री राम कथा चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भीड़ से सत्य का कोई संबंध नहीं होता है। संत वह महान होता है जिसके भीतर सत्य का विकास होता है। गौतम बुद्ध जन्म से मेधावी थे। बच्चों को बचपन में ही गीता का पाठ सुनना चाहिए ।

यह संसार भी अजीब है लोगों की मृत्यु के बाद गीता पाठ कराते हैं। गरुड़ पुराण मृत्यु के बाद सुनाते हैं। जबकि जीवित रहते हैं समय सुनना चाहिए तभी वह मार्गदर्शन प्रदान करती है। गीता तो हर घर में होनी चाहिए गीता पाठ प्रतिदिन हर आयु वर्ग के व्यक्ति को करना चाहिए। जो भी जन्मा है उसे एक न एक दिन मृत्यु को प्राप्त करना ही होता है। कबीरदास जी के अनुसार हम जब जन्म लेते हैं तब हम रोते हैं और जग हंसता है। ऐसी पुण्य कर्म की करनी करेगी यदि हमारी मृत्यु हो तो हम हँसे और और जग रोए। मृत्यु पर शौक नहीं मनाना चाहिए मृत्यु को उत्सव के रूप में मनाना चाहिए। बुढे सब होते हैं वृद्ध कोई नहीं होता है। लोग रोज मर रहे हैं फिर भी हमें बैराग्य नहीं होता है। गौतम बुद्ध ने मृत्यु का चिंतन किया तब उन्हें नींद नहीं आती थी। महारानी कैकई और उर्मिला चित्रकला की में निपुण थी। विभीषण कर्म से ब्राह्मण थे । धर्म सभा में भजन गायिका श्रीमती बुद्धि माया प. कैलाश शर्मा ने संगीतमय मधुर कर्णप्रिय आरती एवं भजन प्रस्तुत किए।

दिव्य सत्संग चातुर्मास धर्म सभा सत्संग समारोह के मुख्य संकल्प कर्ता पप्पू हलवाई, श्री मद्भागवत उत्सव समिति के सदस्य हरगोविंद दीवान, गोपाल चंद्रवंशी ने बताया कि प्रतिदिन दिव्य चातुर्मास सत्संग का समय 8:30 से 10 बजे रहेगा। निर्धारित समय पर उपस्थित होकर धर्म ज्ञान का लाभ ग्रहण करें। आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।

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