पवित्र मनोभाव से प्रभु भक्ति करना चाहिए- प्रवर्तक श्री विजयमुनिजी म.

Neemuch headlines September 3, 2023, 7:54 pm Technology

नीमच। हर व्यक्ति अपने मन को प्रभु भक्ति में लगाना चाहता है लेकिन यह सभी यही कहते हैं कि हमारा मन इधर-उधर भटकता रहता है। प्रभु भक्ति में स्थिर नहीं रहता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि हम प्रभु भक्ति के नियमों का पालन नहीं करते हैं । प्रभु भक्ति के लिए सर्वप्रथम स्वयं के शरीर को शुद्ध करना चाहिए जिस आसन पर बैठकर हम प्रभु भक्ति करना करते हैं वह पवित्र शुद्ध होना चाहिए। यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, आगम मनस्वी साहित्य भूषण कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि सुखासन की मुद्रा में भक्ति करना चाहिए। रीड की हड्डी सीधी होना चाहिए जिसे मेरुदंड भी कहते हैं और मस्तिष्क के बीच वाले हिस्से से ध्यान केंद्र करना चाहिए । भक्ति करने के लिए बहुत ज्यादा ऊपर नहीं बेठना चाहिए। संभव हो जहां तक जमीन पर भी ही बैठना चाहिए नियमों का पालन कर प्रभु भक्ति करेंगे तो मन प्रभु भक्ति में लग जाएगा और इधर-उधर नहीं भटकेगा। धर्म कर्म के लिए निकाला समय पुण्य बढ़ाता है। धर्म प्राप्ति के लिए मन शुद्ध आवश्यक है। धर्म आगम प्राकृत और संस्कृत भाषा में लिखे गए क्योंकि यह भाषा देवताओं को प्रिय थी।

धर्मशास्त्र प्रतिदिन सुबह जल्दी अध्ययन करना चाहिए। पर्युषण पर्व आत्म शुद्धि का पर्व है। ऋषि पंचमी ज्ञान पंचमी नाग पंचमी का धार्मिक महत्व होता है जीवन में महान बनना है तो धर्म को लक्ष्य बनाना होगा। संत का जीवन आनंदमय दिखता है लेकिन तपस्या बहुत कठिन होती है। इतिहास महापुरुषों की जीवनियों से भरा पड़ा है इसे पढ़ कर हम अपने जीवन के कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। त्याग तपस्या से मानव महान बन सकता है। चंद्रेश मुनि महाराज ने कहा कि पर्युषण पर्व आत्म कल्याण का पर्व है। इसमें तपस्याओं के इतिहास बनते हैं। श्री कृष्ण का जन्म जेल में हुआ और मृत्यु जंगल में हुई। कभी किसी पर भी बिना कारण संदेह नहीं करना चाहिए। क्योंकि संदेह आत्म कल्याण के मार्ग में बहुत खतरनाक होता है। पाप कर्म के कांटे निकाले बिना पुण्य कर्म का फल नहीं मिलता है। धर्म सभा में साध्वी डॉक्टर विजय सुमन श्री जी महाराज साहब ने कहा कि जीवन में यदि वैराग्य का भाव मजबूत है तो आत्म कल्याण हो सकता है। वैराग्य तीन प्रकार के होते हैं खिचडीयावेराग्य संयम मार्ग प्रकाशित करता है। किरचिया रेशम को जितना धोते हैं उतना साफ होता है। इसी प्रकार भक्ति तपस्या जितनी करते हैं उतना मन पवित्र होता है। हल्दिया वैराग्य होने से धूप में सूखने से उड़ जाता है। मसानिया वैराग्य शमशान तक रहता है घर आने पर वापस भूल जाते हैं।

नशा मुक्ति पोस्टर का विमोचन किया गया इस अवसर पर शेखर नाहर, अनिल धारीवाल, पंकज कांठेड, संदीप रांका, बसंतीलाल जैन नासिक प्रदीप मारु निंबाहेड़ा आदि गण मान्य लोगों की उपस्थिति में नशा मुक्ति अभियान के पोस्टर का विमोचन किया। चतुर्विद संघ की उपस्थिति में चतुर्मास काल तपस्या साधना निरंतर प्रवाहित हो रही है। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की। धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा. एवं साध्वी विजय श्री जी म. सा. का सानिध्य मिला। इस अवसर पर श्री अभिजीतमुनिजी म. सा. श्री अरिहंतमुनिजी म. सा. ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया। इस अवसर पर श्री वर्धमान स्थानकवासी श्रावक संघ अध्यक्ष अजीत कुमार बम, सागरमल सहलोत, मनोहर शम्भु बम्म, सुनील लाला बम्ब, निर्मल पितलिया, सुरेंद्र बम्म, वर्धमान स्थानकवासी नवयुवक मंडल अध्यक्ष संजय डांगी, दिवाकर महिला मंडल अध्यक्ष रानी राणा साधना बहू मंडल अध्यक्ष चंदनबाला परमार आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे। इंदौर रतलाम, जावद जीरन, चित्तौड़गढ़, छोटी सादडी " निंबाहेड़ा जावरा नारायणगढ़, उदयपुर आदि क्षेत्र से समाज जन सहभागी बने और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। धर्म सभा का संचालन प्रवक्ता भंवरलाल देशलहरा ने किया।

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