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आज कजरी तीज पर शिव- पार्वती पूजन का ये है सबसे उत्तम मुहूर्त, जानें संपूर्ण पूजा विधि

Neemuch headlines September 2, 2023, 8:42 am Technology

कजरी तीज के दिन सुहागिनें विधि:-

विधि विधान के साथ भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में कजरी तीज का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का त्योहार मनाया जाता है। इसे बूढ़ी तीज, सातूड़ी तीज या कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है। कजरी तीज सुहागिनों के लिए हरियाली तीज और हरियाली तीज के समान ही महत्वपूर्ण है। इस साल कजरी तीज 2 सितंबर 2023, शनिवार को यानी आज है।

हिंदू धर्म की मान्यतानुसार, इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए कजरी तीज का व्रत रखती हैं। इसके साथ ही व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

कजरी तीज पर चंद्रदेव की पूजा का महत्व:-

कजरी तीज के दिन सुहागिनें नीमड़ी की पूजा करती हैं। इस साथ ही इस दिन गौ माता की पूजा की भी परंपरा है। इसके साथ ही शाम को चंद्रदेव की भी पूजा की जाती है। तीज के दिन शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पारण किया जाता है।

कजरी तीज पूजन शुभ मुहूर्त 2023- हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 1 सितंबर को रात 11 बजकर 50 मिनट पर प्रारंभ होगी और अगले दिन 2 सितंबर को रात 08 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि मान्य होने के कारण कजरी तीज का त्योहार 2 सितंबर को मनाया जाएगा।

कजरी तीज के दिन इन शुभ मुहूर्त में करें पूजा:-

कजरी तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त 2 सितंबर की सुबह 07 बजकर 57 मिनट से सुबह 09 बजकर 31 मिनट तक रहेगा इसके बाद रात के समय पूजन का मुहूर्त रात 09 बजकर 4. मिनट से रात 11 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। हालांकि कजरी तीज के दिन दिन में या प्रदोष काल के समय पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है।

कजरी तीज पूजा विधि:-

इस दिन महिलाएं स्नान के बाद भगवान शिव और माता गौरी की मिट्टी की मूर्ति बनाती हैं, या फिर बाजार से लाई मूर्ति का पूजा में उपयोग करती हैं। व्रती महिलाएं माता गौरी और भगवान शिव की मूर्ति को एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर स्थापित करती हैं।

इसके बाद वे शिव गौरी का विधि विधान से पूजन करती हैं, जिसमें वह माता गौरी को सुहाग के 16 सामग्री अर्पित करती हैं, वहीं भगवान शिव को बेल पत्र, गाय का दूध, गंगा जल, धतूरा, भांग आदि चढ़ाती हैं। फिर धूप और दीप आदि जलाकर आरती करती हैं और शिव-गौरी की कथा सुनती हैं। इस दिन गाय की पूजा की जाती है। गाय का रोटी व गुड़ चना खिलाकर महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं।

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