श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है। इस साल 19 अगस्त रवि को हरियाली तीज है। सावन में पड़ने के कारण इस तीज को हरियाल तीज कहते हैं। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है। इस साल 19 अगस्त, रविवार को हरियाली तीज है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और उत्तम स्वास्थ्य के निर्जला व्रत रखती है। सावन में पड़ने के कारण इस तीज को हरियाली तीज कहते हैं। सुहागिनों के लिए तो सावन विशेष है ही इस दौरान पड़ने वाले व्रत और त्योहार भी विशेष है। इन्हीं में से एक है हरियाली तीज सुहागिन महिलाए निर्जला व्रत रखकर इस परंपरा का निर्वहन करती हैं। तो वहीं नवविवाहिताओं के लिए यह त्योहार खास होता है।
हरियाली तीज की कथा :-
पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती की वर्षों की साधना के बाद इस दिन भगवान शिव से मिली थी। मान्यता है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया था, लेकिन उन्हें महादेव नहीं मिले। जब 108वीं बार जन्म लिया तो उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की। ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि पर ही भगवान शिव मां पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन दिए ।
पूजा विधि :-
• सुहागन स्त्रियां स्नान आदि से निवृत होकर मायके से आए हुए कपड़े पहन लें। पूजा के शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर माता पा साथ भगवान शिव और गणेश जी की प्रतिमा ऐप पर पढ़ें स्थापित आए हुए कपड़े पहन ले
• पूजा के शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर माता पार्वती के साथ भगवान शिव और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
• मां पार्वती को 16 श्रृंगार की सामग्री, साड़ी, अक्षत, दीप, गंध आदि अर्पित करें।
• शिव जी को भांग, धतूरा, अक्षत, बेल पत्र, श्वेत फूल, गंध, धूप, वस्त्र आदि चढ़ाएं। गणेश जी की पूजा करते हुए हरियाली तीज की कथा सुनें।
• भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
• भगवान को भोग अवश्य लगाएं।