बालकवि बैरागी की याद में जलेस ने सजाई महफिल, नीमच-रतलाम इकाई ने किया संयुक्त आयोजन रतलाम, मंदसौर सहित नीमच के सुखनवरों ने की शिरकत

Neemuch Headlines February 13, 2023, 4:03 pm Technology

नीमच। जनवादी लेखक संघ नीमच एवं रतलाम इकाई ने रविवार 12 फरवरी 2023 को संयुक्त कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम भारत के प्रसिद्ध लोक कवि बालकवि बैरागी के जन्मोप्लक्ष में मुनक्किद किया गया। जिसमें रतलाम,मंदसौर और नीमच ज़िले के साहित्यकारों ने शिरकत की,साथ ही बालकवि बैरागी को साहित्यिक नमन किया। प्रोग्राम की शुरआत में विजय बैरागी व रतलाम से आए वरिष्ठ साहित्यकार प्रो.रतन चौहान ने बालकवि की शख्सियत पर रौशनी डाली और उनकी ज़िंदगी के मुख्तलिफ पहलुओं पर चर्चा करते हुए,उनकी चुनिंदा रचनाओं का पाठ भी किया। उन्होंने कहा कि बालकवि की सादगी और उनकी अपनाइयत ने उन्हें लोक कवि बनाया। वह अपनी रचनाओं से गहरा असर छोड़ गए।

उन्होंने चाहे सभी सुमन बिक जाएं,चाहे ये उपवन बिक जाएं,चाहे सौ फागुन बिक जाएं पर,मैं गंध नहीं बेचूंगा-अपनी गंध नहीं बेचूंगा जैसी प्रसिद्ध रचनाओं लिख कर लोगों के ज़मीर को सदैव के लिए ज़िंदा कर दिया। इसके पश्चात नीमच जलेस के सचिव कैलाश सेन "करुण" ने काव्य पाठ आरंभ किया। उन्होंने नज़्म "मैं कैसे लिख दूं विकास हो रहा है",पढ़कर खूब दाद बटोरी. युवा कवि गुणवंत ने अपनी रचना "लाल गुलाब" का पाठ किया। जलेस अध्यक्षा प्रियंका कवीश्वर ने अपनी रचनाएं "चूड़ियों की शक्ति" और "बिका पत्रकार" पढ़कर समा बांध दिया। युवा शायर आलम तौक़ीर "आलम" ने बालकवि की स्मृति में "इज्ज़ो,खुलूसो,प्यार के पैकर बालकवि बैरागी थे,अच्छे कवि और सच्चे लीडर बालकवि बैरागी थे" पंक्तियां पढ़ी, जिसपर उन्हे खूब सराहा गया।

कवियत्री पुष्पलता सक्सेना ने अपनी रचना "माइक" का पाठ किया और बालकवि की स्मृतियों को साझा किया। शायर अकबर हुसैन "शफक़" ने "दिल को कहां नसीब है राहत तेरे बगैर,ये ज़िंदगी भी है मुझे ज़हमत तेरे बगैर" पढ़कर दाद हासिल की.रतलाम से आए शायर सिद्दीक़ रतलामी ने "नज़र न रखते तो बच्चे ख़राब हो जाते" सहित अन्य ग़ज़लें पेश कर खूब वाह- वाही लूटी। विजय बैरागी ने "रक्त सना मेरा परचम" कविता का पाठ किया,जिस पर उनकी काफी सराहना हुई। रतलाम के शायर आशीष दशोत्तर ने ग़ज़ल "सच को मिली हैं दोस्तों रुसवाईयां बहुत" पेश की और खूब तालियां बटोरीं।

गीतकार और कवि कीर्ति शर्मा ने अपनी रचना "वह बादशाह होगा अपनी सल्तनत का,हम शहंशाह हैं अपनी क़लम के" और गीत "झूठे सपनों के छल से निकल" प्रस्तुत किया। रचनाकार यूसुफ जावेदी ने गीत "कवि कबीरा लाशें गिनता, मारा-मारा फिरता है",सुनाकर सब को मंत्र-मुग्ध कर दिया। मंदसौर के कवि जनेश्वर ने "बच्चों को बताना भी पड़ता है","ज़िंदा हो तो दिखना भी पड़ता है" का पाठ किया। वरिष्ठ शायर अब्दुल वहीद "वाहिद" ने ग़ज़ल "खुदा को है मोहब्बत उस बशर से, जो सब को देखता है।

इक नज़र से" कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ साहित्यकार और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रतलाम के प्रो. रतन चौहान ने "वसुदेव कुटुम्बकम", "बहुत याद आयेंगे वो दिन गजेंद्र", "जीवन का रहस्य","सैनिकों की हिम्मत" आदि रचनाओं का पाठ किया।

कार्यक्रम का संचालन आलम तौक़ीर "आलम" व आभार जलेस अध्यक्षा प्रियंका कवीश्वर ने किया। गोष्ठी में शैलेंद्र सिंह ठाकुर,किशोर जेवरिया, नव प्रभात सिंह परिहार,मुकेश नागदा,कृपाल सिंह मंडलोई,लोकेश यादव,नितेश यादव,सोहैल शैख,यश सिंगोलिया सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।

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