नीमच। नीमच नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा बंगला बगीचा व्यवस्थापन नियम में आ रही कठिनाइयों को हल करने के लिए बंगला बगीचा वासियों से लिखित में सुझाव मांगे हैं ।
वैसे तो यह मामला नगर पालिका परिषद के पार्षद एवं अध्यक्ष की पहुंच से बहुत दूर है परंतु फिर भी यदि राजनीति करने के लिए माननीय अध्यक्ष महोदय ने सुझाव मांगे हैं तो सबसे महत्वपूर्ण सुझाव यह है कि बंगला बगीचा क्षेत्र के लिए किसी प्रकार का कोई व्यवस्थापन नियम लागू ही नहीं होना था यह बात पूर्व पार्षद एवं एडवोकेट अमित शर्मा द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही गई । जो लोग लंबे समय से जिस भूमि पर काबिज हैं जिनके द्वारा वैध रजिस्ट्री करवाई गई एवं अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई लगा अपने और अपने परिवार के लिए आशियाने बनाए गए उन्हें अचानक से कांग्रेस और भाजपा की सरकार के द्वारा अवैध बता दिया जाता है और क्षेत्र की जनता को बीच मझधार में छोड़ दिया जाता है और उस पर पार्षद से लेकर अध्यक्ष एवं विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक राजनीति करते हैं एवं जनता को अपने झूठे वादों के जाल में फंसाए रखने का काम करते हैं।
यदि वास्तविकता में हमारे क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को बंगला बगीचा क्षेत्र की जनता की जरा सी भी चिंता होती तो वह इस प्रकार का काला कानून लागू नहीं करते और इसे जबरदस्ती जनता पर थोपने का प्रयास नहीं करते कांग्रेस हो या भारतीय जनता पार्टी के जनप्रतिनिधि सभी ने बंगला बगीचा क्षेत्र की जनता के साथ धोखा किया है प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कई बार इस समस्या का जनहित में समाधान करने का वादा कर चुके हैं परंतु जनता को इनके द्वारा भी बार-बार ठगा गया है ।
शर्मा ने प्रभारी मंत्री को भी किया कटघरे में खड़ा :-
वहीं सबसे हास्यास्पद यह है कि क्षेत्र की प्रभारी मंत्री को बंगला बगीचा समस्या के बारे में जानकारी नहीं है उनकी सरकार के द्वारा ही जो कानून विधानसभा में पारित किया गया है उस कानून को वह केंद्र सरकार से संबंधित कानून बताती हैं एवं रक्षा मंत्री से संबंध में चर्चा होना भी बताती है जो पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है, वही क्षेत्रीय विधायक भी उनका बचाव करते नजर आते हैं इससे यह स्पष्ट है कि हमारे जो जनप्रतिनिधि हैं उन्हें जनता की तकलीफ से किसी प्रकार का कोई लेना देना नहीं है।
यदि वास्तविकता में उन्हें जनता की तकलीफ नजर आती तो इस प्रकार का काला कानून वह लागू ही नहीं होने देते ।
पार्षदों से लेकर अध्यक्ष को नहीं है बंगला बगीचा क्षेत्र की जानकारी :-
वहीं दूसरी ओर नगर पालिका परिषद के 18 पार्षदों द्वारा बंगला बगीचा समस्या के समाधान हेतु विशेष सम्मेलन बुलाने का प्रस्ताव रखा था परंतु किसी राजनीतिक दबाव के चलते उनमें से 8 पार्षदों द्वारा उक्त सम्मेलन ना कराए जाने की दोबारा से मांग की इससे यह स्पष्ट है कि सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के बीच भी इस मुद्दे पर वाहवाही लेने की होड़ मची हुई है और यह प्रतीत होता है कि दबाव में लेकर पार्षदों का विशेष सम्मेलन का प्रस्ताव वापस करवाया गया है ।
उक्त प्रस्ताव को रखने के लिए दोनों ही दलों के पार्षदों ने हस्ताक्षर किए थे और उसके बाद दोनों ही दलों के पार्षदों द्वारा उस प्रस्ताव को वापस लेने के लिए भी हस्ताक्षर की है जिससे यह स्पष्ट है कि दोनों ही दल एक ही जैसी राजनीति करते हैं । नगर पालिका परिषद के निर्वाचित पार्षदों की यह हरकत यह स्पष्ट करती है कि इन पार्षदों को भी बंगला बगीचा व्यवस्थापन नियम के संबंध में किसी प्रकार की जानकारी नहीं है पूर्व में नगर पालिका परिषद द्वारा जो प्रस्ताव पारित कर शासन को भेजा गया था वह अति उत्तम प्रस्ताव था बावजूद इसके पार्षदों एवं नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा आम जनता से सुझाव मांगे जा रहे हैं यह समझ से परे है ।
वैसे भी यह मामला अब परिषद के अधिकारों से परे जा चुका है एवं इस मामले को विधानसभा द्वारा ही हल किया जा सकता है जिसके लिए क्षेत्रीय विधायक दिलीप सिंह जी परिहार को इस मामले को सुलझाने के लिए विशेष दिलचस्पी दिखानी चाहिए परंतु उनका जो नजरिया है उससे लगता है कि उन्हें बंगला बगीचा क्षेत्र की जनता की कोई परवाह नहीं है । यदि वास्तविकता में क्षेत्रीय विधायक को बंगला बगीचा वासियों की तकलीफ से कोई संबंध या सरोकार है तो बंगला बगीचा व्यवस्थापन नियम जैसे काले कानून को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने की मांग विधानसभा में की जानी चाहिए।