सिंगोली। एक ओर राजस्व का अमला अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर लेकर खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद करने पहुँच जाता है वहीं दूसरी तरफ शिकायत के बाद भी किसी तरह की कार्यवाही नहीं की जा रही है जिससे प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं जो लाजिमी दिखाई दे रहे हैं।मामला पटवारी हल्का नम्बर 5 कस्बा सिंगोली का है जिसमें शासकीय एवं निजी भूमि पर न केवल अतिक्रमण कर लिया बल्कि उस पर पक्की दीवार भी बना दी गई और तो और शिकायत दर्ज कराने के बाद भी राजस्वकर्मियों द्वारा अतिक्रमण हटाने के बजाय सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वाले को संरक्षण दिया जा रहा है जिसके चलते अब शिकायतकर्ता जाएं तो कहाँ जाएं और करें तो क्या करें ?उक्त आशय की बात कहते हुए सिंगोली निवासी शुभमसिंह परमार ने तहसीलदार सिंगोली के समक्ष गत दिनों प्रस्तुत किए गए आवेदन पत्र की प्रतिलिपि देते हुए बताया कि कस्बा सिंगोली के पटवारी हल्का नम्बर 5 में तिलस्वां सड़क मार्ग के पास कन्या छात्रावास के सामने स्थित शासकीय भूमि सहित शुभमसिंह के पिता की स्वामित्व व आधिपत्य की निजी भूमि पर अतिक्रमणकर्ता ओमप्रकाश पिता हरिनारायण पोरवाल द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर शासकीय भूमि पर पक्की दीवार बना दी है।
तहसीलदार को सौंपे गए आवेदन पत्र में पीड़ित व्यक्ति ने बताया कि न केवल भूमि सर्वे नम्बर 588,590 एवं 591में स्थित शासकीय भूमि पर अतिक्रमण किया गया है बल्कि इसके पास ही सर्वे नम्बर 70 में स्थित निजी कृषि भूमि के कुछ हिस्से सहित निजी स्वामित्व व आधिपत्य वाली भूमि पर आने जाने वाले रास्ते पर भी अतिक्रमण कर रास्ता रोक दिया है।
शुभमसिंह ने बताया कि शासकीय कर्मचारियों की मिलीभगत से गलत तरीके से तरमीम करवाकर शासकीय जमीन के फर्जी कागजात तैयार कर लिए हैं और शासन की बेशकीमती जमीन हड़पने पर आमादा है वहीं इसके नजदीक स्थित निजी भूमि पर भी अतिक्रमण कर लिया है और अतिक्रमण का विरोध किया तो अतिक्रमणकर्ता ने परिजनों के साथ गाली गलौज करते हुए कहा कि जमीन पर मेरा कब्जा है जिसे मैं नहीं हटाऊंगा।
इस सम्बन्ध में शिकायतकर्ता ने बताया कि निजी व शासकीय भूमि पर से अतिक्रमण हटाने के लिए तहसीलदार को आवेदन पत्र लिखकर दिया लेकिन अब तक मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई है इसलिए स्वयं की भूमि एवं रास्ते पर किया गया अतिक्रमण नहीं हटाने के कारण किसी भी प्रकार की विवादास्पद स्थिति निर्मित होती है तो उसकी समस्त जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।