जीरन। बीते दिनों मल्हारगढ़ में एक युवक को त्रुटि पूर्ण कार्रवाई करते हुए एनडीपीएस केस में आरोपी बनाने के मामले में मंदसौर पुलिस को हाई कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई थी, ऐसा ही एक मामला अब नीमच पुलिस के साथ में सामने आया है दरअसल मामला जीरन पुलिस का है जीरन पुलिस की त्रुटि पूर्ण कार्रवाई के मामले में हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए आरोपी को जमानत दे दी, मामले में आरोपी की और से पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता विश्वजीत शक्तावत ने जानकारी देते हुए बताया कि जीरन पुलिस द्वारा राहुल अहिरवार पिता भेरूलाल अहिरवार को थाना जीरन, जिला नीमच में NDPS एक्ट की धारा 8/15 के तहत अपराध क्राइम नंबर 260/2024 दर्ज किया गया था।
आरोप है कि 15 सितंबर 2024 को सुबह 7:00 बजे उसके पास से 72 किलोग्राम पोस्त भूसा बरामद हुआ था, आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) के अनुसार, 14 सितंबर 2024 की दोपहर के बाद आवेदक का कोई कॉल विवरण नहीं है। इससे यह संकेत मिलता है कि उसे पुलिस ने 14 तारीख को ही गिरफ्तार कर लिया था और 15 तारीख की गिरफ्तारी केवल दिखावा थी। अदालत ने पाया कि पुलिस द्वारा प्रस्तुत CDR रिपोर्ट में भी 14 सितंबर 2024 को दोपहर 12:48 बजे के बाद आवेदक की टावर लोकेशन उपलब्ध नहीं थी। जीरन पुलिस की यह कार्यवाही पूरी तरह मनगढ़ंत है क्योंकि आरोपी का मोबाइल 14 सितंबर 2024 की 12:52 के बाद से बंद है उससे ना तो कोई कॉल किया गया नाही कोई लोकेशन चेंज हुई, जबकि आरोपी को गिरफ्तार करने वाले पुलिस कर्मियों की लोकेशन भी 14 सितंबर 2024 को गिरफ्तारी के दौरान दर्शाए गए स्थान पर मिली ।
संबंधित पुलिस अधिकारियों से पूछे जाने पर भी पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपी राहुल की टावर लोकेशन 14 सितंबर 2024 को 12:48 के बाद उपलब्ध नहीं है । कोर्ट ने माना कि उपरोक्त जानकारी प्रासंगिक है और आवेदक को 14 सितंबर 2025 को गिरफ्तार किया गया था यह कोरी कल्पना नहीं कहा जा सकता है उपरोक्त तर्कों में सच्चाई नजर आती है मामले में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने माना कि आवेदक का यह बचाव कि उसे 14 तारीख को ही गिरफ्तार किया गया था, निराधार नहीं लगता और इसमें सच्चाई हो सकती है। तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, न्यायालय ने आवेदक की जमानत याचिका स्वीकार कर ली है। प्रकरण के दौरान जीरन में मनोज सिंह जादौन थाना प्रभारी थे जो कि वर्तमान में रतनगढ़ थाना प्रभारी है । प्रकरण में सहयोगी अधिवक्ताओं के रूप में अनुपाल सिंह झाला और राहुल पाटीदार की भी भूमिका रही ।