उज्जैन। मकर संक्रांति हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। ये पर्व पूरे देश में बड़ी ही धूम-धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
ये ऐसा उत्सव है जो पूरे देश में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी पर्व कहते हैं, तमिलनाडू में पोंगल, असम में बिहू और पंजाब में लोहड़ी। पिछले कई दशकों से मकर संक्रांति का पर्व परंपरागत रूप से 14 जनवरी को मनाया जा रहा है, लेकिन इस बार इस त्योहार की तारीख को लेकर काफी कन्फ्यजून बना रहा है। आगे जानिए क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति पर्व, इस बार किस तारीख को मनाएं और उपाय आदि खास बाते इसलिए मनाते हैं
मकर संक्रांति पर्व? :-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य हर 30-31 दिन में राशि बदलता है। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाता करता है तो इसे संक्रांति कहते हैं। इस तरह साल में कुल 12 संक्रांति होती है। इसी क्रम में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के पीछे वैज्ञानिक कारण छिपा है वो ये है कि मकर राशि में प्रवेश करते ही सूर्य पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध की ओर गति लगता है, जिससे दिन बड़े होने लगते हैं। ऐसा होने पर सूर्य का प्रकाश अधिक समय तक धरती पर रहता है, जिससे फसल पकती हैं व समुद्र का पानी वाष्प बनकर ऊपर जाता है जो हमें बारिश में पुन: प्राप्त होता है। सूर्य का मकर राशि में जाना हमारे जीवन के लिए जरूरी है इसलिए ये पर्व मनाया जाता है।
इस बार किस दिन मनाएं मकर संक्रांति? :-
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, आमतौर पर सूर्य 14 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करता है, लेकिन इस बार सूर्य 14 जनवरी, शनिवार की रात को 8 बजे के बाद मकर राशि में प्रवेश करेगा, इसलिए इसके अगले दिन यानी 15 जनवरी, रविवार को मकर संक्राति का पुण्य काल माना जाएगा।
15 जनवरी को ही मकर संक्रांति से संबंधित स्नान, दान, जप, पूजा आदि करना शुभ रहेगा।
कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे इस दिन :-
15 जनवरी, रविवार को चित्रा पद्म नाम का शुभ योग दिन भर बनेगा। इसके अलावा सुकर्मा और धृति नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन रहेंगे। इस दिन शनि स्वयं की राशि मकर में रहेगा, जिससे मालव्य नाम का शुभ योग बनेगा। मकर संक्रांति पर इस बार मकर राशि में सूर्य, शनि, और शुक्र की युति बन रही है, ये भी शुभ फल देने वाली रहेगी।
ये है मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त :-
वैसे तो मकर संक्रांति पर पूरे दिन ही स्नान-दान किया जा सकता है, लेकिन ये काम यदि शुभ मुहूर्त देखकर किया जाए तो और भी अच्छा रहता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, इस बार मकर संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी, रविवार की सुबह 07.14 से दोपहर 12.36 यानी 5 घंटा 32 मिनट तक रहेगा।
यानी इस समय किए गए स्नान-दान, तप आदि का महत्व बहुत अधिक रहेगा। मकर संक्रांति पर दान करने का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस दिन अगर राशि अनुसार, दान किया जाए तो और भी शुभ रहता है।
आगे जानिए राशि अनुसार, क्या दान करे :-
मेष राशि:
इस राशि वाले मच्छरदानी, तिल, तिल का तेल आदि चीजों का दान करें।
वृषभ राशि:
इस राशि वाले ऊनी वस्त्र और तिल के पकवानों का दान करें।
मिथुन राशि:
इस राशि वाले काले तिल व गर्म कपड़े जैसे कंबल, स्वेटर का दान करें।
कर्क राशि:
इस राशि के लोग तिल, साबूदाने और ऊन का दान करें।
सिंह राशि:
इस राशि वाले तिल, कंबल, चावल, दाल का दान करें।
कन्या राशि:
इस राशि वाले तिल, कंबल, तेल, उड़द दाल का दान करें। तुला राशि: तेल, रुई, वस्त्र, राई व मच्छरदानी का दान करें।
वृश्चिक राशि:
इस राशि वाले कंबल, ऊनी वस्त्र व घी का दान करें। धनु राशि: इस राशि वाले तिल और चने की दाल का दान करें।
मकर राशि:
इस राशि के लोग तेल, तिल, कंबल और पुस्तक का दान करें।
कुंभ राशि:
इस राशि के लोग तिल, साबुन, वस्त्र, कंघी, अन्न का दान करें।
मीन राशि:
इस राशि वाले तिल, चना, साबूदाना, कंबल और घी का दान करें।