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यहाँ रावण को जमाई राजा मानकर होती है पूजा, महिलाएं आज भी रावण की प्रतिमा के सामने घूंघट निकालती है

Neemuch Headlines October 5, 2022, 9:32 am Technology

मंदसौर। शहर में खानपुरा में अति प्राचीन रावण की प्रतिमा है। जिसकी नामदेव समाज पूजा अर्चना करता है। ऐसी प्रचलित मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी का पीहर मंदसौर में ही था। इसके चलते खानपुरा क्षेत्र में रावण को जमाई राजा मानकर ही पूजा जाता है। समाज के लोग ढोल बाजे के साथ धूमधाम से रावण प्रतिमा के सामने पहुंचते हैं और फिर पूजा-अर्चना कर पैर में लच्छा बांधते हैं। शाम को माफी मांगकर प्रतीकात्मक वध भी करते हैं। रावण को जमाईराजा मानने की मान्यता के कारण ही नामदेव समाज सहित कुछ अन्य समाज की बुजुर्ग महिलाएं आज भी रावण की प्रतिमा के सामने से निकलने समय घूंघट निकालती है। हालांकि इतिहासकार मंदोदरी के मंदसौर के रिश्ते के किसी भी तरह के साक्ष्य होनेे की बात से इंकार करते रहे हैं। पर रावण की प्रतिमा मंदसौर में क्यों बनी इसके पीछे भी वे कोई उचित कारण नहीं बता पाते हैं। रावण प्रतिमा के पीछे ही एक लंका रुपी भवन भी बना हुआ है। रावण वध के बाद नामदेव समाज के अधिकांश लोग वहां भी पहुंचते हैं। मंदसौर को जोड़ते हैं मंदोदरी से बुजुर्ग मंदोदरी से शहर के रिश्ते का सबसे बड़ा प्रमाण देते हुए उल्टा प्रश्न खड़ा करतेे हैं कि इस शहर का नाम मंदसौर क्यों हुआ? मंदोदरी के रिश्ते के कारण ही यहां का नाम मंदसौर है। हालांकि कही भी उल्लेख नहीं होने के कारण धार्मिक क्षेत्रों से जुड़े लोग व इतिहासकार इसे नहीं मानतेे हैं। रावण बाबा दूर रखते हैं बीमारी व महामारी से दशहरे पर नामदेव समाज के पुरुष व महिलाए खानपुरा स्थित बड़ा लक्ष्मीनारायण मंदिर से ढोल के साथ रावण प्रतिमा के यहां पहुंचते हैं। फिर पूजा-अर्चना करते हैं। नामदेव समाज के लोग रावण बाबा से पूरे क्षेत्र को बीमारी व महामारी से दूर रखने के लिए प्रार्थना करते हैं और इसीलिए रावण प्रतिमा के पैर में लच्छा भी बांधते हैं। फिर शाम को गोधुलि वेला में भी रावण की पूजा अर्चना कर माफी मांगते हैं और फिर प्रतिमा के गले में पटाखे की लड़ लगाकर प्रतीकात्मक वध करते हैं।

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