सात्विक भोजन जिवन में संतोष देता, तामसिक भोजन क्रोध को जन्म देता- अखिलेश नाहर

विनोद पोरवाल August 27, 2022, 2:00 pm Technology

कुकड़ेश्वर। शरीर की इंद्रियां हमें अच्छे कर्मों से मिली है हमारे कर्म अच्छे होने से हमें पूर्ण इंद्रियों का सुख मिला अनंत पुण्य उदय के पश्चात अनेकों कष्ट सहन करने के पश्चात हमें मनुष्य जन्म में परिपुर्ण इंद्रिया प्राप्त हुई, जिन लोगों को इंद्री सुख नहीं मिलता है उनकी स्थिति दयनीय होती वो दूसरे पर निर्भर रहते हैं। हमारे शरीर की इंद्रियां क्षीण कमजोर हो आंखों से कम दिखाई दे कानों से कम सुनाई दे और शरीर अशक्त हो जाए उसके पहले हमें धर्म कार्य कर लेना चाहिए। उक्त विचार रत्न संघ के सुश्रावक श्री अखिलेश नाहर इंदौर ने स्थानक भवन में उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को अंतगण सुत्र वाचन कर प्रवचनों मेंआपने बताया कि हमें मोह, माया से इस संसार में इस तरह जकड़ रखा की हम धर्म कार्य से विमुख हो रहें। जब तक इसे नहीं छोड़ेंगे तब तक संसार से मुक्ति नहीं होगी हमारी कथनी करनी में अंतर आ गया है हम चैतन्य अवस्था में है लेकिन जड़ के प्रभाव में वसीभुत है, अपने बताया कि जड़ का प्रभाव चेतन पर और चेतन का प्रभाव जड़ पर पड़ता है। सात्विक आहार जीवन में संतोष देता है जबकि तामसिक आहार क्रोध को जन्म देता,जीवन में अशांति का कारण है क्रोध। तीर्थंकर भगवान का जहां समोसारण चलता है वहां किसी प्रकार का विघ्न असंतोष बीमारी नहीं होती शेर बकरी एक घाट पर पानी पीते हैं आकाश से पानी गिरता है, यदि वह सर्प के मुंह में गिरता तो जहर बनता,गन्ने के खेत में गिरता तो मिठास का रूप ले लेता,और सीप के मुँह में जाता है तो मोती बन जाता है। जिस प्रकार शेर जंगल का राजा है उसे अपनी शक्ति का पता है लेकिन हमारे अंदर भी अनंत शक्ति है हमें शक्ति को जानना होगी हम भी सिद्ध बुद्ध मुक्त बन सकते हैं। हमें सिर्फ पुरुषार्थ करना है धर्म की भूख जागृत करना है धर्म कार्य में कदम बढ़ाएंगे तो अपनी आत्म कल्याण संभव होगा।

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