जीवन में अनेकांतवादी सिध्दार्थ पर चलकर धर्म की आराधना करें- अखिलेश नाहर

विनोद पोरवाल August 26, 2022, 5:05 pm Technology

कुकडेश्वर। क्या हमने भगवान से ऐसा एग्रीमेंट कर रखा है की जब भी जन्म मिले हमें मनुष्य जन्म ही मिले नहीं तो फिर क्यों हम इस को व्यर्थ में गंवा रहे हैं। हमें चिंतन करना चाहिए पूर्व जन्मों के कर्मों के उदय से मनुष्य योनि मिली है इसके लिए कितने पुरुषार्थ करना पड़ते हैं लेकिन हम इस मनुष्य भव को बिना पुरुषार्थ करके गंवा रहे हैं इसका चिंतन निरंतर हमारे अंतर्मन में चलना चाहिए ।उक्त बात पर्वाधीराज पर्युषण पर्व आराधना हेतु पधारे स्वाध्याबंधु अखिलेश नाहर ने कुकडेश्वर स्थानक भवन में पर्व आराधना के दौरान अंतर्गण सूत्र वाचन करते हुए श्रावक श्राविकाओं को बताया कि हमें जो चीज नहीं मिली उसकी बहुत ज्यादा इच्छा हमारे जीवन में होती हैं, और नहीं मिलने पर हमें दुख होता है, लेकिन जो वस्तु जो चीज हमें मिली हम उससे संतुष्ट नहीं होते हैं जिसके कारण से ही हमारा जीवन दुखमय हो जाता है। मानव भव मिला है धर्म आराधना व त्याग को महत्व देकर हमे जो मिला उसका ही आनंद लेंगे तो परम आनंद हमें स्वत: ही प्राप्त हो जाएगा। नाहर ने बताया कि हमें बड़े ही पुण्य से मनुष्य जन्म और आर्य क्षेत्र के साथ ही जैन कुल मिला है और जैन कुल मे रह कर हमें धर्म को आस्था और श्रद्धा के साथ करना चाहिए जहां तक धर्म में श्रद्धा नहीं होगी तो वो धर्म व्यर्थ होगा मानव की तीन अवस्था होती है बाल्यावस्था युवावस्था व वृद्धावस्था बाल्यकाल हम खेल कुद में गवा देते हैं, युवावस्था पढ़ाई व कमाई में गवा देते हैं और वृद्धावस्था अत्यधिक संग्रह और संग्रहण को संभालने में ही गवा देते हैं। कुछ ही वह पूण्य साली होते हैं जिन्हें बाल्यावस्था में ही देव गुरु धर्म के सानिध्य से धर्म का मर्म प्राप्त होता है और आगे चलकर आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का काम कर लेते हैं। संसार रूपी कीचड़ में कुछ नहीं रखा है हमें इस से ऊपर उठकर आत्म कल्याण करना चाहिए भगवान ने अनेकांतवाद का सिद्धांत देते हुए हमें बताया लेकिन आज हम अनेकांतवादी ना होकर ही वादी बन गए हैं जहां सिर्फ अपना ही सिद्ध हो अपनी भी बात मानी जाए और वह नहीं मानने पर क्रोध अवस्था उत्पन्न हो जाती हैं।अगर मानव जीवन में अनेकांतवाद के सिद्धांत पर जीवन जिया जाए तो आनंद ही आनंद होगा मानव जीवन में रहते हुए सकारात्मकता रखते हुए हमें मैत्री भाव से रहना ही जैन सिद्धांत बताता है पर्वाधीराजधिराज पर्युषण पर्व के साथ ही हमें त्याग तप तपस्या करने का अवसर प्राप्त हुआ इसे व्यर्थ न जाने दें आठ दिवसीय पर्व पर धर्म आराधना से अपनी आत्मा कल्याण करने में लगाएं उक्त अवसर पर श्रावक श्राविका ने भी सुंदर गीत प्रस्तुत किए आपके सानिध्य में स्थानक भवन में प्रात: प्रार्थना अंतर्गण सूत्र वाचन प्रवचन महिला बच्चों की नाना प्रतियोगिता प्रतिक्रमण के साथ धर्म आराधना चल रही है।

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