मनासा।"देशभक्ति गीत स्वतन्त्रता संग्राम में चेतना के संवाहक रहे।"सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।" "विजयी विश्व तिरंगा प्यारा"जैसे अनेक गीतों ने स्वतंत्रता की अलख जगाने में अपना योगदान दिया। "वंदेमातरम" के घोष ने पूरे देश को एक सूत्र में पिरोया।आजादी का अमृत महोत्सव हमारे वीर शहीदों के बलिदानों का स्मरण कराता है और उन मूल्यों को बनाए रखने की अपेक्षा करता है जिनके लिए वे शहीद हुए।" उक्त विचार सुरेश शर्मा ने अमृत महोत्सव पर कवि नरेंद्र व्यास के आवास पर आयोजित एक साहित्यिक कार्यक्रम में रचनाधर्मियों के बीच प्रकट किए। कार्यक्रम का शुभारंभ कवि सुरेश प्रजापति "दादू" द्वारा देशभक्ति गीतों की संगीतमय प्रस्तुति से हुआ। सुर-ताल की प्रभावी प्रस्तुति ने आयोजन को देशभक्ति के रंगों से सरोबार किया। कवि नरेन्द्र व्यास ने अपने ओजस्वी स्वर में शानदार व सामयिक काव्यपाठ किया--"एक थे और एक हैं हम वन्देमातरम/जब तक है दम में दम वन्देमातरम/ तुम्हें कसम है राम की तुम्हें रहीम की/सब एक साथ मिलकर बोलो वन्देमातरम" कवि मनोहर पाटीदार 'मासूम' ने अपने प्रासंगिक मुक्तक एवं मधुर गीतों से अपनी महती उपस्थिति दर्ज की--"संभव ही नही कि मुझे मुश्किलें रोक ले/असफलता से मैं "अ " हटाने निकला हूँ/" कवि-संगीतज्ञ एवं शिक्षक हेमंत लोहार ने अपनी अंग्रेजी कविताओं के भावपूर्ण व सुंदर अनुवादों की बेहतरीन प्रस्तुति दी। चित्रकार एवं कवि सुरेश प्रजापति दादू ने लोकगीतों एवं हिंदी गीतों की सुमधुर एवं सरस गीत गंगा प्रवाहित कर आयोजन को अर्थवान किया-- 'वन-पर्वत, जय, सागर झील/ पवन- धरा,जय गगन, अनिल/ संस्कृति का यह उद्गम स्थान/जय भारत,जय हिंदुस्तान' सक्रिय रचनाधर्मी एवं कवि-व्याख्याता अम्बिकाप्रसाद जोशी ने आज के गौरवशाली दिवस एवं आयोजन की महत्ता पर अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त करते हुए एक आशु कविता का वाचन किया।अंत में सुरेश शर्मा ने अपनी चर्चित कविता 'जीत का गीत' -- "बादल की ओट छोड़,के सूरज भी आएगा तू भैरवी सुना ये , जग भी साथ गाएगा कुछ पल का ठहरना ,तो कोई हारना नही उठा- कदम - बढ़ा ये जंग जीत जाएगा" की लयात्मक प्रस्तुति दी।आभार नरेन्द्र व्यास ने प्रकट किया।