मनासा। जहा प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शासकीय व्यवस्थाओ को सुव्यवस्थित करने के प्रयास मे लगे है, ओर खास कर शासकीय हास्पीटल को लेकर सभा को सम्बोधित करते हुए कहा की सरकारी अस्पताल की व्यवस्था ऐसी हो की जनता यह कहने लग जाऐ की बीमारी का ईलाज तो सरकारी अस्पताल मे ही करवाना है, वही प्रदेश के नीमच जिले की मनासा शासकीय हास्पीटल की स्वास्थ्य व्यवस्था चर्मरा गई है, डिलेवरी प्रसुती परिजन द्वारा पैसा नही देने पर बहाना बनाना हास्पीटल नर्सो से सिखे। जानकारी अनुसार डिलेवरी कराने के नाम पर पैसे लेने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। जहा पर प्रसुताओं की डिलेवरी करवाने वाली नसें उनके साथ आए परिजनों से लगातार रूपए की मांग कर रही हैं। रूपए नहीं देने की स्थिति में या तो उस प्रसूता को वार्ड में भर्ती नहीं किया जाता या फिर उनका इलाज नहीं करते हुए उन्हें नीमच रैफर कर दिया जाता। ऐसे ही दो मामले मनासा के शासकिय चिकित्सालय में देखने को सामने आऐ । इनमें से एक मामले में डिलेवरी नर्सों ने प्रसूता के परिजनों से लिए रूपए हंगामा होने पर लोटा दिए तो एक प्रसूता के परिजन से 2500 रूपए ले लिए। जिसके बाद दोनों ही मामलों में मनासा एमडीएम को शिकायत के मिली इसके बाद एसडीएम पवन बारिया ने चिकित्सालय पहुचकर पीडित पक्ष की बात सुनने के बाद बीएमओं बीएल भायल को जांच कर दोषी नर्सों के खिलाफ उचित कार्रवाई कर हटाने के निर्देश दिए। मामले मे मिडिया को जानकारी देते, रामप्रसाद धनगर ने बताया कि मेरे छोटे भाई की पत्नि शारदा पति शम्भुलाल धनगर को प्रसव पीडा होने पर मनासा शासकिय चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया। 9 अगस्त को 12 बजे के करीब डिलेवरी होने के बाद उपस्थित नर्स स्टाफ प्रिया रामावत, सुशीला मुस्कुले एवं संतोष बैरागी ने 2 हजार रूपए की मांग की। प्रसूता शारदा धनगर की बहन ने रूपए देने से मना किया तो उसे डराया धमकाया गया ओर बोला की तुम्हे नीमच रैफर कर देंगे। ऐसे में प्रसूता की बहन ने 1200 रूपए नर्स को दिए। जब प्रसूता की जेठानी ने विरोध किया ओर अपने पति जो स्वास्थ्य विभाग में उसका हवाला दिया तो नर्सों ने प्रसूता के परिजनों से लिए रूपए वापस लोटा दिए। वही दूसरे मामले में लोटवास के रामनिवास पिता हिरालाल मेघवाल ने बताया कि मनासा के शासकिय चिकित्सालय में 8 जुलाई को मेरी बहन ओमलता की डिलेवरी हुई थी। डिलेवरी के पश्चात ड्यूटी स्टाफ ने मुझ से 3 हजार रूपए मांगे। मेरे द्वारा रूपए देने से मना करने पर नर्स ने बोला की ओमलता को प्रसव रूम से वार्ड में शिफ्ट नहीं करेंगे। ऐसे में बहुत देर तक प्रसूता प्रसव टेबल पर ही तडपति रही। मजबूरन हमे ड्यूटी नर्स को 2500 रूपए देना पडे, इसके बाद मेरी बहन को वार्ड में शिफ्ट किया गया। वही एसडीएम पवन बारिया ने बताया कि अस्पताल पहुचकर पीडित का पक्ष सुनने के बाद बीएमओं को जांच कर डिलेवरी नर्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।