मनासा। मनासा में कृषि ऊपज मंडी मे असुविधा का खेल लम्बे समय से देखने मे आ रहा है। कभी पिने के पानी की अवस्था तो गंदगी का साम्राज्य, या फिर आवारा मवेशियों द्वारा किसानो कि उपज पर विचरते हुऐ आसानी से देखा जा सकता है। मंडी सचिव व कर्मचारीयो की साँठ- गाठ के चलते किसान अपने आप को उपज मंडी मे लाने के बाद से वापस घर जाने तक ठगा ठगा सा महसूस करता है। ऐसा ही वाकिया शनिवार को मंडी परिसर मे देखने मे आया।
जानकारी अनुसार मंडी प्रांगण मे बने किसानो के टीनशेट मे व्यापारियो का कब्जा जमा रहता है, वही किसान जैसे तैसे अपनी उपज टीनशेट मे कही बची कुची जगह पर खाली करता है, उस पर भी हम्माल, थैला गाडी चालक उस उपज को बिखेरते हुए, व्यापारीयो के ढेर तक पहुंचते है। इसके बाद मंडी परिसर में आवारा पशुओं का एहसास आतंक है कि वह किसानों के ढेर पर सीधे मुंह मारते देखे जाते हैं और सुरक्षाकर्मियों का इस और किसी प्रकार का कोई ध्यान नहीं रहता है। मंडी की इस प्रकार की अव्यवस्था से किसान काफी समय से परेशान है परंतु उनकी इन परेशानियों की सुनवाई आज तक नहीं हो पाई।
किसान की उपज को ट्रेक्टर आदि वाहन से मंडी मे खाली कराई के पेसे किसान को देना भी एक नया सिस्टम है जो अभी देखने मे आ रहा है। ये पैसे पहले किसान नही देते थे, ऐसे मे किसान उपज की सुरक्षा की दृष्टि को लेकर मंडी प्रशासन से गुहार लगाता है पर उसकी कोई सुनने वाला नही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसान हितेषी बात करते हैं परंतु उनके जनप्रतिनिधियो को किसानो की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं। आखिर अन्नदाता किसान कब तक इसी प्रकार परेशान और ठगा सा महसूस करेगा..?