अगर आप कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी (CHS) के अपार्टमेंट में रहते हैं तो यह खबर आपके लिए अहम है। अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (AAR) की महाराष्ट्र बेंच ने हाल में व्यवस्था दी है कि अगर कोई कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी अपने मेंबर्स से हर महीने 7,500 रुपये से अधिक मेनटेनेंस चार्ज लेती है तो उस पर जीएसटी लगेगा। बेंच ने फाइनेंस एक्ट, 2021 में पिछली तारीख से हुए एक संशोधन के आधार पर यह फैसला लिया।
यह संशोधन 1 जुलाई, 2017 से लागू किया गया है। इसके तहत कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी और उसके मेंबर्स को अलग-अलग एंटिटी माना गया है। संशोधन के बाद यह पहला फैसला है। इस तरह कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी को मेंबर्स से वसूल किए गए मेनटेनेंस चार्ज पर जीएसटी देना होगा। एएआर ने कहा कि यह गुड्स एंड सर्विसेस की सप्लाई के एवज में मिली राशि है
18 फीसदी जीएसटी:-
सरकार के सर्कुलर के मुताबिक कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी को मेनटेंनेस चार्ज पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी वसूलना होगा, बशर्ते यह राशि प्रतिमाह 7,500 रुपये से अधिक हो। हालांकि सालाना 20 लाख रुपये या उससे कम टर्नओवर वाली सोसाइटी को खुद को रजिस्टर करने और जीएसटी नियमों का पालन करने की जरूरत नहीं है। इस मामले में मुंबई में अंधेरी की एमरेल्ड सीएचएस का तर्क था कि एक सोसाइटी अपने मेंबर्स को सर्विसेज की सप्लाई नहीं कर सकती है क्योंकि सोसाइटी और उसके मेंबर्स अलग-अलग एंटिटी नहीं हैं। यानी इस मामले में परस्परता का सिद्धांत लागू होगा। मेंबर्स केवल कॉस्ट को रिइंबर्स कर रहे हैं और इस पर जीएसटी लागू नहीं हो सकता है।
सोसाइटी का तर्क:-
लेकिन एएआर ने इसे खारिज कर दिया। सोसाइटी ने साथ ही तर्क दिया कि फाइनेंस एक्ट में संशोधन के बाद नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया। लेकिन एएआर ने कहा कि संशोधन को 18 मार्च, 2021 को राष्ट्रपति से मंजूरी मिल गई थी।
इसके साथ ही कोऑपरेटिव सोसाइटीज में परस्परता के सिद्धांत के विवादास्पद मुद्दे का पटाक्षेप हो गया।