इनकम टैक्स विभाग ने कोरोना महामारी की वजह से वित्त वर्ष 2020-21 के लिए IT रिटर्न दाखिल करने की डेडलाइन बढ़ा दी है. इससे न केवल इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिलेगी बल्कि मौजूदा माहौल में परेशानियों से जूझ रहे कारोबारियों के ऊपर से भी कंप्लायंस का बोझ कम होगा.
इनकम टैक्स नियम के मुताबिक, इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स जो मार्च 31 को खत्म हुए पिछले वित्त वर्ष (2020-21) के लिए ITR-1 या ITR 4 दाखिल करते हैं, उन्हें 31 जुलाई तक ये करना होता है. कंपनियों और फर्म जिनके अकाउंट का ऑडिट जरूरी होता है, उनके लिए ये डेडलाइन 31 अक्टूबर होती है. लेकिन टैक्सपेयर्स की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए ये तारीखें अब आगे बढ़ गईं हैं.
ITR की नई डेडलाइन:-
इंडिविजु्अल्स अब वित्त वर्ष 2020-21 में कमाई गई इनकम के लिए टैक्स रिटर्न 31 जुलाई की बजाय 30 सितंबर तक भर सकते हैं. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) ने कंपनियों के लिए रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 30 नवंबर, 2021 कर दी है.
रिवाइज्ड रिटर्न के लिए नई डेडलाइन:-
कोई टैक्सपेयर जिसने अपना रिटर्न डेडलाइन के बाद भी नहीं भरा है, वो Belated ITR फाइल कर सकता है, लेकिन इसके लिए उसे पेनल्टी भरनी होगी. Belated ITR or Revised ITR भरने की अंतिम तारीख अब 31 जनवरी, 2022 है.
फॉर्म-16 इश्यू करने की डेडलाइन :-
एक सर्कुलर के मुताबिक, CBDT ने एम्पलॉयर की ओर से कर्मचारी को दिए जाने वाले फॉर्म 16 देने की डेडलाइन भी बढ़ाकर 15 जुलाई, 2021 कर दी है. पहले इसकी लास्ट डेट 15 जून थी.
नया टैक्स सिस्टम:-
सरकार ने 1 अप्रैल 2020 से टैक्सपेयर्स के लिए एक नया ही टैक्स सिस्टम शुरू किया है. इस नए टैक्स सिस्टम के तहत क्या बदलेगा, किस टैक्सपेयर के लिए ये फायदेमंद है और किसे इसका चुनाव नहीं करना चाहिए, इसे समझना जरूरी है. पहले समझें कि नए स्लैब में क्या है. सालाना 2.5 लाख रुपये तक कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा 2.5 लाख से 5 लाख रुपये की सालाना कमाई पर 5 परसेंट टैक्स लगेगा 5-7.5 लाख रुपये की सालाना कमाई पर 10 परसेंट टैक्स लगेगा 7.5-10 लाख रुपये की सालाना कमाई पर 10 परसेंट टैक्स लगेगा 10-12.5 लाख रुपये की सालाना कमाई पर 20 परसेंट टैक्स देना होगा 12.5-15 लाख रुपये की सालाना कमाई पर 25 परसेंट टैक्स लगेगा 15 लाख से ऊपर सालाना कमाई पर 30 परसेंट टैक्स देना होगा
नए टैक्स स्लैब में स्विच करें या नहीं:-
टैक्सपेयर पुराने टैक्स स्लैब से नए स्लैब में जा सकते हैं और वे नए स्लैब से फिर पुराने स्लैब में वापस आ सकते हैं. हालांकि यह छूट कुछ खास वर्ग के टैक्सपेयर्स के लिए ही है. नौकरीपेशा नये स्लैब में जाकर वापस आ सकते हैं. नौकरीपेशा हर वित्त वर्ष में टैक्स स्लैब स्विच कर सकते हैं. जिनकी सैलेरी, किराये या अन्य सोर्स से आय है, वे हर बार टैक्स स्लैब बदल सकते हैं.
अगर आपकी बिजनेस से इनकम है तो आप सिर्फ एक बार शिफ्ट कर सकते हैं. बिजनेसमैन एक बार स्विच करने पर वापस नहीं आ सकते. आप डॉक्टर, वकील, इंजीनियर या चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं तो नई स्कीम में आ सकते हैं. खास बात ये है कि आप हर साल नई या पुरानी स्कीम के बीच चुन सकते हैं