Latest News

नवरात्र का 8वां दिन, जानिए मां महागौरी की पूजाविधि और मंत्र

Neemuch Headlines October 23, 2020, 5:40 am Technology

नवरात्र के नौ दिन की पूजा के दौरान आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के नौ रूपों में महागौरी आठवीं शक्ति स्वरूपा हैं। महागौरी आदि शक्ति मानी गई हैं। पुराणों के अनुसार, इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान होता है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार, शुंभ निशुंभ से पराजित होने के बाद देवताओं ने गंगा नदी के तट पर देवी महागौरी से ही अपनी सुरक्षा की प्रार्थना की थी। मां के इस रूप के पूजन से शारीरिक क्षमता का विकास होने के साथ मानसिक शांति भी बढ़ती है। माता के इस स्वरूप को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी भी कहा जाता है।

1. इसलिए होती है 8वें दिन की पूजा:-

8 वर्ष की आयु में माता ने शिवजी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की। मात्र 8 वर्ष की आयु में घोर तपस्या करने के कारण इनकी पूजा नवरात्र के 8वें दिन की जाती है। एक कथानुसार, भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ गया, तब देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव मां के शरीर पर गंगाजल डालते हैं। इस तरह देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा।

2. शुंभ-निशुंभ का किया वध:-

शिवजी को प्रसन्न करने के बाद माता ने अपने स्वास्थ्य और स्वरूप को पुन: प्राप्त करने के लिए फिर से तपस्या की। इस तपस्या के बाद माता के शरीर से उनका श्याम वर्ण अलग हुआ और मां कौशिकी प्रकट हुईं। राक्षस शुंभ और निशुंभ का वध करने के लिए मां का देवी कौशिकी के रूप में अवतरित होना आवश्यक था इसलिए यह स्वयं मां की ही लीला थी। महागौरी मां को शिवा के नाम से भी जाना जाता है। देवी गौरी के अंश से ही कौशिकी का जन्म हुआ जिसने शुंभ निशुंभ के प्रकोप से देवताओं को मुक्त कराया।

3. अन्य कथा भी है प्रचलित:-

महागौरी देवी से संबंधित एक अन्य कथा भी प्रचलित है इसके जिसके अनुसार, एक सिंह काफी भूखा था, वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी मां तपस्या कर रही होती हैं। देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गयी परंतु वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया। इस इंतजार में उसका शरीर कमजोर हो गया। देवी का तप समाप्त हुआ तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आई और इस तरह फिर मां ने उसे अपनी सवारी बना लिया क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी। इसलिए देवी गौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही हैं।

4. इन शस्त्रों को धारण करती हैं मां:-

महागौरी की चार भुजाएं हैं उनकी दाईं भुजा अभय मुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में त्रिशूल है। बायीं भुजा में डमरू तो नीचे वाली भुजा से मां गौरी भक्तों को वरदान देने की मुद्रा में हैं। जो स्त्री मां की पूजा भक्ति भाव सहित करती हैं उनके सुहाग की रक्षा देवी स्वयं करती हैं। यदि कोई कुंवारी लड़की मां की पूजा करती है तो उसे योग्य वर की प्राप्ति होती है। जो पुरुष देवी गौरी की पूजा करते हैं उनका जीवनसुखमय रहता है देवी उनके पापों का नाश करती हैं।

5. महागौरी की इस मंत्र से करें पूजा:-

महागौरी की आराधना निम्न मंत्र से करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है,

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥

श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बर धरा शुचि:।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

6. कन्याभोज का है विशेष महत्व:-

नवरात्र में वेसै तो कुवारी कन्याओं को भोजन कराने का विधान है परंतु अष्टमी के दिन का विशेष महत्व है। इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं। देवी गौरी की पूजा का विधान भी पूर्ववत है अर्थात जिस प्रकार सप्तमी तिथि तक आपने मां की पूजा की है उसी प्रकार अष्टमी के दिन भी देवी की विधिपूर्वक पूजा करते हुए कन्यापूजन करना चाहिए।

देवी का ध्यान करने के लिए दोनों हाथ जोड़कर इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं, सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।

7. माता को पसंद है ये चढ़ावा:-

इनकी उपासना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। मां महागौरी की आराधना से किसी प्रकार के रूप और मनोवांछित फल प्राप्त किया जा सकता है। महागौरी की पूजा में नारियल, पूड़ी और सब्जी का भोग चढ़ाते हैं। इसके अलावा हलवा और काले चने का प्रसाद बनाकर मां को विशेष रूप से भोग लगाया जाता है। इस दिन कन्याओं को भोजन कराया जाता है। मां महागौरी की पूजा करते समय गुलाबी रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मां गौरी गृहस्थ आश्रम की देवी हैं और गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है।

Related Post