नीमच। केंद्र सरकार द्वारा मक्के का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1850 रुपये प्रति क्विटल निर्धारित किये जाने की घोषणा किसानों के साथ क्रूर मजाक है।
जब राज्य में सरकारी क्रय केंद्र कार्यरत ही नहीं है तो किसान अपनी उपज समर्थन मूल्य पर कैसे और कहा बेचेंगे।
भाजपा सरकार किसान विरोधी है किसान अपनी उपज के सरकारी समर्थन मूल्य के लाभ से वंचित हो रहा हैं और व्यापारी एवं बिचौलियों का संगठित सिडिकेट, मनमाने तरीके से किसानों से औने पौने दाम पर अनाजों की खरीदारी कर रहे है।
यह बात सद्भावना प्रकोष्ठ के जिला सचिव पदमसिंह राजपूत भाटखेड़ी ने कही।
उन्होंने बताया कि देश में मक्के का समर्थन मूल्य 1850 रुपए है लेकिन मध्य प्रदेश में किसान 900 से 1000 रुपए में मक्का बेचने को मजबूर हैं।
और शिवराज जी चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं उन्हें किसानों की कोई परवाह ही नहीं है।
केंद्र सरकार ने 2 जून को धान समेत 17 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का ऐलान किया था। मक्का के लिए वर्ष 2020-21 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 1850 रुपए तक किया गया है। सरकार फसलों की कीमत और लागत तय करने वाले कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की रिपोर्ट के हवाले से 50 फीसदी मुनाफा देने की बात कह रही है उसके मुताबिक एक कुंटल मक्का पैदा करने में 1213 रुपए की लागत आती है।
लेकिन मंडियों और बाजार में किसानों में मुनाफा तो दूर लागत से काफी नीचे अपनी फसल बेचनी पड़ रहा है "सरकार ने मक्का के लिए एमएसपी 1850 रुपए घोषित की है, जबकि मध्य प्रदेश की मंडियों में मक्का 900 रुपए से लेकर 1000 रुपए क्विंटल तक बिक रही है, किसानों को प्रति क्विंटल 900 से 1000 रुपए तक घाटा हो रहा है।
कोरोना के कहर से लेकर लॉकडाउन के कारण किसानों और कृषक मजदूरों की स्थिति काफी चिताजनक हो गयी है।
सब्जी और फल उगाने वाले किसानों को नुकसाऩ हुआ ही अनाज उगाने वाले किसानों को काफी घाटा उठाना पड़ रहा है प्राकृतिक आपदाओं से किसानों की कमर लगभग टूट चुकी है। और मक्के को औने-पौने दामों पर बेचने पर मजूबर है पर शिवराज जी को अपनी कुर्सी की फिक्र ज्यादा है! कुर्सी का मोह छोड़िए किसान पुत्र और सरकारी समर्थन मूल्य पर खरीदी केंद्र स्थापित कीजिए।