मंदसौर । मंदसौर जिले के छोटे से गाँव रेवास देवड़ा में रहने वाली श्रीमती टीना कुमावत के चेहरे पर आज आत्मविश्वास की वह चमक है, जो कभी सिर्फ एक सपना थी। जीवन के रोज़मर्रा के संघर्षों में वह अक्सर सोचती थीं, काश कुछ ऐसा कर पाती जिससे घर की हालत सुधर जाए। पति अयोध्या प्रसाद खेतों में मेहनत करते, मगर गुज़ारा मुश्किल से होता था।
फिर एक दिन आई मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना, मानो उम्मीद की नई किरण। हर महीने मिलने वाली राशि ने टीना के मन में एक विचार जगाया। उन्होंने तय किया कि इस पैसे को सिर्फ खर्च नहीं करना, बल्कि इसे जीवन बदलने का जरिया बनाना है। कुछ महीनों की राशि बचाकर टीना ने एक सिलाई मशीन खरीदी। जब मशीन घर आई, तो उनके चेहरे पर मुस्कान और दिल में जोश था। शुरुआत में पुराने कपड़ों की मरम्मत से काम शुरू हुआ। धीरे-धीरे गाँव की महिलाएँ अपने कपड़े सिलवाने आने लगीं। देखते ही देखते उनकी सिलाई मशीन की घर्र–घर्र आवाज़ घर की खुशियों की धुन बन गई। जहाँ पहले खर्च की चिंता रहती थी, अब वहाँ आत्मनिर्भरता की शांति बस गई थी। आज टीना अपने हुनर से न केवल परिवार का सहारा बनी हैं, बल्कि गाँव की और महिलाओं के लिए भी प्रेरणा हैं। टीना कहती हैं — लाड़ली बहना योजना ने मुझे सिर्फ आर्थिक सहारा नहीं दिया, बल्कि आत्मविश्वास भी दिया कि मैं अपने सपनों को अपने हाथों से सजा सकती हूँ। मुख्यमंत्री की इस योजना ने सचमुच उनके जीवन में नई दिशा और नई रोशनी भर दी। अब उनकी हर सिलाई में मेहनत, आत्मनिर्भरता और गर्व की कहानी बुनी होती है।