हरियाली अमावस्या पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने किया पौधारोपण का आह्वान, जानिए इस दिन का धार्मिक और पर्यावरणीय महत्व

Neemuch headlines July 24, 2025, 3:14 pm Technology

आज हरियाली अमावस्या है। श्रावण मास की अमावस्या को मनाई जाने वाली हरियाली अमावस्या न सिर्फ धार्मिक आस्था और सामाजिक उल्लास का पर्व है..बल्कि यह भारतीय संस्कृति में प्रकृति-प्रेम और पर्यावरण-संरक्षण की चेतना का प्रतीक भी है। सीएम डॉ. मोहन यादव ने आज के दिन की शुभकामनाएं देते हुए सभी से पौधारोपण का आह्वान किया है। उन्होंने कहा है कि ‘भगवान शंकरजी की अराधना एवं प्रकृति के संरक्षण के पर्व हरियाली अमावस्या की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

भगवान भोलेनाथ जी एवं माता पार्वती जी की कृपा बनी रहे, सभी की कामनाएं पूरी हों, यही प्रार्थना है। पावन पर्व पर हम एक पौधा अवश्य रोपित करें, जिससे धरा हमेशा हरी-भरी बनी रहे।’ हरियाली अमावस्या: प्रकृति से जुड़ा पर्व हरियाली अमावस्या..जैसा की नाम से ही समझ आता है एक प्रकृति-पर्व है। सावन के महीने में मानसून के मध्य जब धरती हरियाली से आच्छादित हो जाती है..उस समय ये पर्व आता है। धार्मिक आस्था के साथ इस दिन वृक्षारोपण, जल संरक्षण और प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने की परंपरा सदियों पुरानी है। ग्रामीण भारत में इसे वन महोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और उत्तर भारत के कई हिस्सों में इस दिन विशेष रूप से पेड़ लगाए जाते हैं।

हरियाली अमावस्या के समय ही किसान खरीफ की फसलें जैसे धान, ज्वार और बाजरा बोते हैं। इसलिए यह समय किसानों के लिए बहुत खास होता है। अच्छी बारिश और अच्छे मौसम की प्रार्थना के लिए इस दिन लोग पूजा-पाठ करते हैं। हरियाली अमावस्या पर पीपल, बरगद और बेलपत्र जैसे वृक्षों की पूजा कर उन्हे जल अर्पित करने की परंपरा रही है। आज के दिन वृक्षारोपण को धर्म और पर्यावरण संरक्षण दोनों दृष्टि से पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन का धार्मिक महत्व श्रावण मास को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है। हरियाली अमावस्या के दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही, शहद और गंगाजल अर्पित करके रुद्राभिषेक किया जाता है।

श्रद्धालु “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए शिवशंकर से सुख-समृद्धि और मुक्ति की कामना करते हैं। आज माता पार्वती की पूजा का भी विशेष महत्व है। महिलाएं इस दिन सुहाग की सामग्री मां पार्वती को अर्पित करती हैं और वैवाहिक सुख की कामना करती हैं। हरियाली अमावस्या पर पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म करने की परंपरा भी है। मान्यता है कि इस दिन पूर्वजों को तिल, जल और पिंडदान अर्पित करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

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