नीमच । मध्यप्रदेश के नीमच जिले में अब विद्यार्थी सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं हैं,
वे समाज की पीड़ा को भी समझ रहे हैं और उसे शब्दों में ढालकर प्रशासन तक पहुँचा रहे हैं। कलेक्टर हिमांशु चंद्रा की अभिनव पहल ने छात्रों को सामाजिक सरोकार से जोड़ दिया है। इसके तहत स्कूली छात्र अब हर मंगलवार जनसुनवाई में आने वाले निरक्षर व जरूरतमंद आवेदकों के लिए आवेदन पत्र लिखते हैं, जिससे न सिर्फ पीड़ितों की मदद हो रही है बल्कि छात्रों का भी सामाजिक और व्यावहारिक ज्ञान बढ़ रहा है। कलेक्टर हिमांशु चंद्रा की यह सोच अब शिक्षा और सेवा का बड़ा माध्यम बन गई है। नवंबर 2024 से प्रारंभ की गई इस पहल में सरकारी और निजी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को जनसुनवाई कक्ष के बाहर बिठाया जाता है, ताकि वे जनसुनवाई में आने वाले जरूरतमंद, अशिक्षित या असहाय लोगों के आवेदन लिख सकें। इससे पहले तक ये फरियादी आवेदन टाइपिंग कराने के लिए 200–400 रुपए तक खर्च करते थे, लेकिन अब यह काम निःशुल्क हो रहा है। यह न केवल आर्थिक रूप से कमजोर आवेदकों को राहत दे रहा है, बल्कि छात्रों के लिए भी यह अनुभवात्मक शिक्षा बन गया है।
छात्रों को अब समझ आने लगा है कि एक आवेदन केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि किसी की पीड़ा, उम्मीद और अधिकार की मांग है। वे जान रहे हैं कि किस प्रकार शासकीय योजनाएं आम जन तक पहुंचती हैं और प्रशासन उस पर कार्रवाई करता है। उत्कृष्ट विद्यालय नीमच की शिक्षिका कविता सेन ने बताया कि, " हर मंगलवार को पांच बच्चों को यहां जनसुनवाई में लेकर आती हूं, यहां कलेक्टर ने बहुत अच्छी सुविधा कर रखी है। यहां जो फरियादी आते हैं जो अनपढ़ होते हैं या किसी को आवेदन लिखने में समस्या आती है तो यहां बच्चों के द्वारा उनके निःशुल्क आवेदन लिखे जाते हैं। इससे बच्चों का भी व्यावहारिक ज्ञान बढ़ता है, उनकी राइटिंग में सुधार होता है अशुद्धियां भी बहुत कम करते हैं। साथ ही इससे फरियादियों को भी सुविधा मिल रही है।" शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय के छात्र श्री विनायक शर्मा ने बताया कि, हमको यहां हर मंगलवार को कलेक्टर महोदय के द्वारा बुलाया जाता है यहां पर हम जो लोग अनपढ़ हैं या ठीक से लिख नहीं पाते उनका हम आवेदन लिखते हैं, जिससे उनको मदद मिलती है और इसके लिए उनका किसी प्रकार का शुल्क नहीं लगता है। हमें भी यहां आकर बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है, हमको यहां के कई विषयों से अवगत कराया जा रहा है। जिले में किस-किस तरह की समस्याएं होती है। उनसे हम अवगत हुए है। यह आगे हमें भी काम देगी और जब हम पहले शुरुआत में आते थे तो बहुत सी गलतियां होती थी लेकिन अब उनमें बहुत सुधार हो चुका है। हम किसी भी प्रकार का आवेदन अब लिख सकते हैं।" नीमच के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सीआरपीएफ के छात्र मो. उस्मान अब्बासी ने बताया, " मैं पिछले एक साल से यहां आवेदन लिखने आ रहा हूं। कलेक्टर हिमांशु चंद्रा ने यह एक अच्छी पहल की है, इसमें हम ग्रामीणों की जो समस्या है, उनके समाधान में हम उनकी सहायता करते हैं।
यहां लोग अलग-अलग समस्या लेकर आते हैं जो लोग पढ़े लिखे नहीं हैं वह एप्लीकेशन नहीं लिख पाते उनकी एप्लीकेशन लिखकर उनकी सहायता करते हैं। उन्हें मार्गदर्शन करते हैं। उन्हें हम बताते है कैसे टोकन लेना है, कैसे जाना है, कहां आवेदन देना है, वह सब हम बताते हैं।" नीमच जिले की यह पहल एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गई है। यह शिक्षा को समाज सेवा से जोड़ने की एक सशक्त कोशिश है। विद्यार्थी अब केवल परीक्षा के लिए नहीं, समाज को बेहतर बनाने के लिए भी लिख रहे हैं। यह प्रयोग आने वाले समय में अन्य जिलों और राज्यों के लिए उदाहरण बन सकता है।