नीमच। गौतम नाम में वह शांति है जो कामधेनू कल्पवृक्ष चिंतामणि रत्न में होती है। विनय बुद्धि सिद्धि समृद्धि सभी तरह के सुख देने की शक्ति गौतम लब्धि में निहित होती है। गौतम लब्धि की पूजा का फल कभी निष्फल नहीं जाता है। यह बात ध्यान कीर्ति जी महाराज साहब ने कहीं। वे श्री जैन श्वेतांबर वासुपुज्य जैन मंदिर जैन मंदिर इंदिरा नगर जिनालय ट्रस्ट के तत्वाधान में आयोजित चातुर्मास की धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति श्रद्धा भक्ति से गौतम लब्धि की पूजा करता है उसे सब कुछ सहज ही प्राप्त हो जाता है। जैन परंपरा में श्री तीर्थंकर परमात्मा के बाद गौतम स्वामी को प्रणाम किया जाता है। इस अवसर पर अनंत लब्धि निदान गौतम स्वामी एवं गौतम लब्धि पुजा की गई। इस अवसर पर गौतम लब्धि की पूजा के लिए पाठ पर अक्षत गहुली बनाकर पूजन किया फुलों से श्रृंगारित कर दीपक प्रज्वलित किए गए। विभिन्न धार्मिक चढ़ावे की बोलियां लगाई गई जिसमें समाजजनों ने उत्साह के साथ सहभागिता निभाई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में गौत्तम लब्धि पूजा में सामूहिक रूप से सहभागिता निभाई। परमात्मा की प्रतिमा को गुलाब के फूलों से श्रृंगारित किया गया था। इस अवसर पर विभिन्न वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ गौतम लब्धि कलश अभिषेक पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर 50 से अधिक श्रद्धालु भक्तों ने खीर के ऐकाशने किये। आरती के बाद प्रभावना का वितरण किया गया। आयम्बिल की तपस्या कर नन्हीं आर्या ने लिया आशीर्वाद -नन्ही साढ़े 4 वर्षीय बालिका आर्या पुत्री नितेश सुपोत्री सुशील नपावलिया ने ध्यान कीर्ति महाराज साहब की प्रेरणा से गौतम स्वामी की लब्धि के पावन उपलक्ष्य में आयम्बिल की तपस्या की। जिसकी सभी ने अनुमोदना की। ध्यान कीर्ति महाराज साहब के चरण वंदन कर आर्या ने आशीर्वाद ग्रहण किया। उल्लेखनीय है कि उल्लेखनीय है कि नन्ही बालिका आर्या ने पूर्व में भी पद्मभूषण जी महाराज की प्रेरणा से वास की तपस्या पूरी की थी। आर्य चैतत्य वंदन भी करवाती है। सभी धार्मिक क्रिया को सीखने की रुची भी रखती है।