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गलती का प्रायश्चित किए बिना आत्मा का कल्याण नहीं होता है-आचार्य प्रशमेशप्रभ, आचार्य भगवंत, मुनिराज प्रवचन में उमड़े समाज जन...

Neemuch headlines July 9, 2025, 7:21 pm Technology

नीमच। अपनी भूल और गलती पर भगवान महावीर स्वामी और आदिनाथ ने भी प्रायश्चित तप किया और आलोचना की थी हम तो साधारण इंसान है। यदि हम से अनजाने में भूलवश पाप कर्म हो जाए तो हमें प्रायश्चित कर पाप कर्म को कम करना चाहिए। पाप कर्म की भूल और गलती का प्रायश्चित किए बिना आत्मा का कल्याण नहीं होता है। यह बात आचार्य प्रशमेश प्रभ ने कही। वे श्री जैन श्वेतांबर भीड भंजन मंदिर मंडल ट्रस्ट पुस्तक बाजार नीमच के तत्वाधान में जैन भवन मेंआयोजित चातुर्मास अमृत प्रवचन श्रृंखला की धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि साधु संत विवेक वान और योग्य व्यक्ति को ही उपदेश देते हैं। भगवान करोड़ों लोगों को देशना सुनाते हैं लेकिन विवेक वान व्यक्ति को ही देशना का पुण्य लाभमिलता है।

जो व्यक्ति विवेक वान होता है उसको ही उपदेश फलता है। चातुर्मास में सामूहिक रूप से तपस्या सरलता से होती है। इसलिए पुण्य कर्म तपस्या भक्ति से निरंतर जुड़ना चाहिए और तभी हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है। चातुर्मास में अभक्ष पदार्थ का उपयोग करने से शरीर रोगी हो जाता है चातुर्मास में यदि हम तपस्या करते हैं तो शरीर निरोगी रहता है आहार पर संयम रखें तो जीवों की रक्षा होती है इसलिए चातुर्मास चार माह का होता है बरसात में जीवों की उत्पत्ति होती है इसी कारण कुमार पाल महाराजा और कृष्ण महाराज अपने निश्चित महल क्षेत्र से बाहर नहीं जाते थे एक ही स्थान पर रहकर चातुर्मास की तपस्या करते थे इसी कारण उनका धर्म पुण्य सदैव बढ़ता रहता था श्रावक को 12 माह तक चातुर्मास संयम अभिग्रह का पालन करना चाहिए तभी उनके जीवन का कल्याण हो सकता है। संकल्प के बिना तपस्या भक्ति का फल नहीं मिल पाता है आचार्य भगवंत श्री वि जय प्रशमेश प्रभ, सूरीश्वरजी मसा एवं मुनिराज श्री नीति प्रभ विजयजी मसा आदि ठाणा 2 एवं साध्वी जी श्री श्रुतवर्धना श्रीजी मसा एवं साध्वी जी श्री विरति प्रिया श्रीजी मसा आदि ठाणा 9 का का चातुर्मास में सानिध्य प्राप्त हो रहा है। आचार्य श्री के प्रवचन जैन भवन में प्रतिदिन सुबह 9 बजे होंगे।

इस अवसर पर वरिष्ठ श्री संघ पदाधिकारियों सहित बड़ी संख्या में समाज जन उपस्थित थे। । श्री भीड़ भंजन श्रीसंघ में चातुर्मास के लिए पधारे आचार्य भगवंत नुतन आराधना भवन पर विराजित पूज्य आचार्य भगवंत एवं साध्वी जी मसा के प्रवचन में समय पर पधारकर दर्शन वंदन का धर्म पुण्य लाभ लेवें,

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