चीताखेड़ा। आशुतोष भगवान भोलेनाथ जो दिगंबर होते हुए भी अर्द्ध नारीश्वर है,जो नरमुंडों की माला धारण करते हुए भी गंगाधर है, जो श्मशानवासी होते हुए भी देवाधिदेव है। शिव मृत्युंजय है, मृत्यु पर विजय पाने के लिए उन्होंने अमृतपान नहीं बल्कि विषपान कर मृत्युंजय हुए। शिव - पार्वती जी का विवाह सबको आनंदित कर देने का अवसर है शिवरात्रि की रात्रि से सृष्टि की शुरुआत मानी गई हैं। इसी दिन भगवान शिव का निराकार से साकार रूप में अवतरण हुआ था। उक्त अमृतवाणी कथा मर्मज्ञ पण्डित जीवन कृष्ण शास्त्री ने कराड़िया महाराज और रामनगर के बीच झील में स्थित 11 वीं शताब्दी का अतिप्राचीन भगवान श्री भूतेश्वर महादेव मंदिर पर मंदिर समिति द्वारा आयोजित साप्ताहिक श्री शिव महापुराण कथा महोत्सव के पांचवें दिन शनिवार को धर्म पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को अपने मुखारविंद से रसास्वादन करवाते हुए कही। कहा कि पति की आज्ञा का पालन करने वाली महिला पतिव्रता कहलाती है, पत्नी को पति की आज्ञा का पालन करना चाहिए। शिष्य का परम कर्तव्य है कि गुरु की आज्ञा का पालन करना। पंडित श्री शास्त्री ने कहा कि पिता द्वारा डांटा गया पुत्र,गुरु द्वारा डांटा गया शिष्य तथा सुनार के द्वारा पीटा गया सोना सब आभूषण ही बनते हैं। आसमान से बरसते आग के अंगारे,गर्म लू के थपेड़े से स्क्रीन जला देने वाली तेज तपन और धरती से निकल रही गर्म उमस पर भारी पड़ती आशुतोष भगवान श्री भूतेश्वर के भक्तों की आस्था। ऐसी भीषण गर्मी के बावजूद भी भरी दोपहरी में कराड़िया महाराज पंचायत के अंतर्गत मात्र एक किलोमीटर दूरी पर भूतेश्वर महादेव मंदिर पर आयोजित श्री शिव महापुराण कथा का रसास्वादन करने महिला - पुरुष, युवा - बुजुर्ग हर उम्र के पैदल चलकर भूतेश्वर महादेव के दिवाने श्री शिव महापुराण कथा महोत्सव में शामिल होकर धर्म लाभ लें रहे हैं। कथा पंडाल में भगवान श्री शिव और पार्वती जी का विवाह प्रसंग आया तो वृंदावन से आए कलाकार माधवदास द्वारा शिव जी ( धापू गोस्वामी),और पार्वती जी (निकीता लौहार),नंदी महाराज (माधवदास),भूत-प्रेत( अनिपूरी गोस्वामी, लक्ष्य राज सिंह राणावत) ने स्वांग धर जैसे ही बारात के रूप में कथा पंडाल में .... चली शिवजी बारातिया हिमाचल नगरी....., बारातिया लई के आई गए बम बन भोला....., सज रहे भोले बाबा निराले दुल्हे में........, होली खेलें मसाने में........ आदि भोले बाबा के विवाह के सुमधुर भजनों पर पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुजन थिरक उठे। शिवजी की बारात में नंदी महाराज और भूत-प्रेतों ने भी जमकर नृत्य किया। कराड़िया महाराज के सामाजिक कार्यकर्ता एवं धार्मिक प्रवृत्ति के ठाकुर नरेंद्र सिंह राणावत, ठाकुर विक्रम सिंह राणावत, मंदिर समिति अध्यक्ष ठाकुर प्रेमसिंह राणावत, कुंवर चांदसिंह राणावत और कुंवर श्रवण सिंह राणावत , बद्रीलाल पाटीदार, कुंवर रायबहादुर सिंह राणावत, पूजारी मोहन गीर गोस्वामी, पूजारी शंभू गीर गोस्वामी, पूजारी रामगीर गोस्वामी, पूजारी राजू गीर गोस्वामी, कुंवर श्रुपाल सिंह राणावत, कन्हैयालाल सेन, कंवरलाल गुर्जर, रामनारायणगुर्जर, राजेश लोहार, मोहन काका, अशोक सांवरिया, दिनेश बागड़ी सहित कई वरिष्ठ कार्यकर्ता मंदिर पर आयोजित श्री शिव महापुराण कथा महोत्सव में सभी तन-मन और धन से समर्पित है और इस महोत्सव के दौरान कई कार्यक्रमों को मूर्त रूप दे रहे हैं। और मंदिर समिति का गठन कर 40 सालों से बंद पड़े मेले को एक बार फिर से शुरू करने का बीड़ा उठाया है।