नीमच। जनजातियों ने राष्ट्र की संस्कृति की रक्षा की है। यह बात जनजाति परिषद् के प्रान्त प्रमुख विजेन्द्रसिंह ने जनजाति विकास मंच नीमच द्वारा "स्वराज में जनजाति समाज का योगदान" विषय आयोजित गोष्ठी में कही। आपने कहा कि स्वराज में जनजाति समाज का योगदान अतुलनीय है। जनजाति समाज के वीर योद्धाओं ने स्वराज एवं संस्कृति की रक्षा हेतु सिकन्दर हो या मुगल या अंग्रेजी साम्राज्य, सभी के विरुद्ध अमर बलिदान दिया है। महाराणा प्रताप के साथ राणा पुंजा का योगदान अविस्मरणीय है। रामायण काल मे जहां श्रीराम वंदनीय है उतना ही माता शबरी का सम्मान है। हमारी जननी जनजाति है जहाँ से हम वन से होते हुए शहरों तक विकास करते हुए स्वयं को सर्वसुविधायुक्त समझते है किंतु वनों में निवासरत जनजाति आज भी अपनी संस्कृति को संरक्षित करते हुए प्राकृतिक सुविधाओं के संयोग से सुखी जीवनयापन कर रही है। इन जनजातियो का जीवन हमारे लिए प्रेरणा है जहां एक ओर हमें सामंजस्य बनाए रखते हुए सुखमय जीवन की सीख मिलती है वहीं दूसरी ओर राष्ट्र की संस्कृति की रक्षा एवं स्वराज को अक्षुण्ण बनाए रखने का संदेश मिलता है। गोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते चन्द्रसिंह धार्वे ने कहा कि जनजाति संस्कृति राष्ट्र का गौरव है। राष्ट्र की स्वंतत्रता के लिए प्राणों का उत्सर्जन करने वाले अमर शहीद टंट्या भील, भगवान बिरसा मुंडा, भीमा नायक आदि के कार्यों को आत्मसात करते हुए युवा पीढ़ी को राष्ट्र सेवा में योगदान देना चाहिए। कपोल कल्पित इतिहास को न पढ़कर वास्तविक इतिहास को जानकर सनातन संस्कृति का संरक्षण ही हमारा दायित्व है। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयमसेवक संघ के जिला संचालक अनिल जैन ने की एवं कार्यक्रम का संचालन अजय भटनागर ने किया। इस अवसर पर जर्मन नागरिक सहित समाजसेवी व शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।