भोपाल। देशभर में इन दिनों नवरात्रि का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। वहीं, मध्य प्रदेश के दमोह जिले में हर साल नवमी के दिन आयोजित होने वाला रावण दहन पूरे प्रदेश में अनूठी परंपरा के साथ मनाया जाता है। यहां हर जगह के लोग एकत्रित होते हैं। बता दें कि यहां का दशहरा काफी खास माना जाता है। दरअसल, यहां रावण का दहन दशहरे के दिन नहीं, बल्कि एक दिन पहले यानी नवमी को ही हो जाता है। देशभर में दहशरा को लेकर खास तैयारियां चल रही है। नवरात्र के पहले दिन से देवी भक्ति में लीन श्रद्धालुओ को अब दशहरे का इंतज़ार है। दमोह में दशहरे का आयोजन कुछ अलग होता है। ये दहशरा खास इसलिए भी है क्योंकि हर साल इस जगह से देश को तत्कालीन परिस्थितियों के मद्देनजर एक संदेश दिया जाता है, जो न केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस संदेश के जरिए लोगो से अपील की जाती है कि वो इसे मानें और लोगों को भी प्रेरित करें। अनोखी परंपरा इस अनोखी परंपरा की एक और खासियत यह है कि रावण के पुतले का निर्माण मुस्लिम कलाकारों द्वारा किया जाता है, जो अपने आप में देश के लिए बहुत बड़ा संदेश है। बता दें कि उत्तर प्रदेश के जालौन से आए ये कलाकार चार पीढ़ियों से यहां रावण के पुतले बना रहे हैं। इस साल 55 फीट ऊंचे रावण का पुतला बनाया जा रहा है, जो पिछले साल से 5 फीट बड़ा है। इस आयोजन में आतिशबाजी भी एक बड़ा आकर्षण है। खास बात यह है कि यहां इस्तेमाल होने वाली आतिशबाजी पूरी तरह से हाथों से बनाई जाती है। सामाजिक संदेश इस साल दमोह का रावण 5 फिट बड़ा हो गया है। इसका अर्थ है कि 55 फिट ऊंचा रावण का पुतला यहां जलाया जाएगा। बढ़ी हुई लंबाई के पीछे वजह है कि समय के साथ बुराइयों की तादात भी बढ़ रही है, लेकिन बुराई कितनी भी हो सत्य की हमेशा जीत होती है। अच्छाई हंमेशा समाज और राष्ट्रहित में होती है।