उत्तर प्रदेश की इलाहबाद हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए ताश के पत्तों से खेले जाने वाले दो खेल पोकर और रमी को जुआ कहने से इंकार किया है। कोर्ट ने इन खेलों को कौशल का खेल बताया। अदालत ने ये फैसला गेमिंग जोन चलाने वाली के संस्था द्वारा लगाई गई याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। डीसीपी सिटी कमिश्नरेट के आदेश को दी गई चुनौती आपको बता दें कि मेसर्स डीएम गेमिंग प्राइवेट लिमिटेड ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट याचिका दाखिल की थी।
याचिका में डीसीपी सिटी पुलिस कमिश्नरेट आगरा के 24 जनवरी 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें डीसीपी सिटी कमिश्नरेट ने एक गेम जोन को चलाने की इजाजत देने से मना कर दिया था। दो वंदे भारत ट्रेनों पर शरारती तत्वों का हमला, खिड़कियों के शीशे चकनाचूर, यात्रियों में दहशत पोकर और रमी कौशल के खेल हैं न कि जुआ मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में हुई, बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले और हाई कोर्ट के अन्य आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि पोकर और रमी कौशल के खेल हैं न कि जुआ। डिवीजन बेंच ने कहा कि अधिकारियों को इस मुद्दे की गहराई से जांच करनी चाहिए, केवल अनुमान के आधार पर अनुमति देने से इंकार नहीं करना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि केवल संबंधित अधिकारी की दूरदर्शिता के आधार पर अनुमति देने से इंकार करना ऐसा आधार नहीं हो सकता जिसे बनाए रखा जा सके।
अवैध जुआ गतिविधियों के लिए परिसर की निगरानी करने से नहीं रोका जा सकता डिवीजन बेंच ने कहा- मनोरंजक गेमिंग गतिविधियों की अनुमति देने से इंकार करने के लिए अधिकारी को ठोस तथ्य रिकॉर्ड पर लाने की आवश्यकता होती है, इसके अलावा अदालत ने ये भी कहा कि पोकर और रमी की गेमिंग इकाई चलाने की अनुमति देने से अधिकारियों को अवैध जुआ गतिविधियों के लिए परिसर की निगरानी करने से नहीं रोका जा सकता है। पुलिस को दिए निर्देश हाई कोर्ट ने पुलिस को इस मामले में फिर से विचार करने का निर्देश दिया है, जस्टिस शेखर बी सराफ और जस्टिस मंजीव शुक्ल की डिवीजन बेंच ने कहा कि डीसीपी सिटी कमिश्नरेट निर्णय की तिथि से छह सप्ताह के भीतर याची को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के बाद तर्कसंगत आदेश करें।