पश्चिम बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस घटना के बाद पश्चिम बंगाल सरकार की छवि देखते ही देखते बुरी तरह बिगड़ गई। इस स्थिति के बाद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) ने विधानसभा में एक एंटी रेप बिल पेश किया।
इस बिल के मुताबिक, अब ऐसे घिनौने काम करने वाले दोषियों को 10 दिनों के अंदर फांसी की सजा दी जाएगी। आपको बता दें, इस विधेयक का वादा ममता बनर्जी ने 28 अगस्त को टीएमसी छात्र परिषद की स्थापना दिवस पर किया था, जो राज्य में बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों की प्रति एक सख्त नीति को दर्शाता है। शिक्षकों-कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर, विभाग ने जारी किए 1384 करोड़, इस दिन खाते में आएगी सैलरी! शिक्षकों-कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर, विभाग ने जारी किए 1384 करोड़, इस दिन खाते में आएगी सैलरी! ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024′ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने बलात्कार के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए जो नया विधेयक पेश किया है उसका नाम है ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024’। इस विधेयक के तहत बलात्कार के दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।
यह विधेयक न केवल पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है बल्कि समाज में सुरक्षा और विश्वास को भी बनाए रखने का प्रयास है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कही ये बात (CM Mamata Banerjee) इस मौके पर विधानसभा में बोलते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बलात्कार को समाज का विष करार दिया और सख्त सजा की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने आगे यह भी कहा कि जब भी ऐसी गंभीर घटनाएं होती हैं वह खुद अपनी कलम से इनका विरोध करती हैं। हाल ही में कोलकाता में हुई घटना का उल्लेख करते हुए ममता बनर्जी ने बताया कि उन्होंने उस समय भी अपने शब्दों को कलमबद्ध किया था, ताकि समाज को इस घातक अपराध की प्रति जागरूक किया जा सके और न्याय की ओर कदम बढ़ाया जा सके। नए विधेयक का उद्देश्य पश्चिम बंगाल विधानसभा में पेश किया गया नया विधेयक सभी उम्र की पीड़िताओं के लिए लागू होगा। हाल ही में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई घटना के विरोध में और न्याय की मांग के लिए राज्य के कानून मंत्री मलय घटक ने यह विधेयक पेश किया। आपको बता दें, इस विधेयक में भारतीय न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा संहिता और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम में बदलाव करने की बात की गई है।
अगर किसी भी तरह से यह विधेयक पारित होता है तो दुष्कर्म और हत्या के दोषियों को उम्र कैद की सजा दी जाएगी।