नीमच । सिद्ध चक्र मंडल विधान की पूजा तपस्या करने से पाप कर्मों की निर्जरा होती है। दुसरो की भलाई के लिए की गई पूजा मंडल विधान से पुण्य बढ़ता है। इसलिए सदैव पुजा कर्म करते रहना चाहिए व पाप कर्म से सदैव बचना चाहिए। तभी हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है।
तपस्या के बिना अंतरात्मा पवित्र नहीं होती है और आत्मा का कल्याण भी नहीं होता है यह बात वैराग्य सागर जी महाराज साहब ने कही। वे दिगंबर जैन समाज नीमच द्वारा दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भक्ति तपस्या पूजा पर विश्वास होता है तभी हम स्वस्थ होते हैं उसी प्रकार तपस्या भक्ति और पर हमें विश्वास होगा तभी हमें उसका पुण्य फल मिल सकता है। पूजा भक्ति तपस्या क्रिया से शांति बढ़ती है और क्रोध दूर होता है। मुनि सुप्रभ सागर जी महाराज साहब ने कहा कि सच्चा आनंद का सुख भक्ति और तपस्या से मिलता है। इस अवसर पर सिद्धों की महाअर्चना सिद्ध चक्र का मंडल विधान मंत्र उच्चार के साथ किया गया। स्वर्ण कलश, खोपरा से सजाया। व दीप प्रज्वलित किया गया मंडल विधान की रचना की गई। प्यारो लागे जिनेश्वर प्यारो लागे, रस बरसे आज मंदिर में, भक्ति की है बात प्रभु जी आज थाने आनो है आदि भजनों पर समाज जनों द्वारा भक्ति नृत्य प्रस्तुत किया गया। मीडिया प्रभारी अमन विनायका ने बताया कि प्रतिदिन विभिन्न अष्टानिका महोत्सव में नये नये धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किया जा रहे हैं। 21 जुलाई को मंगल कलश की स्थापना का कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा।