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नवरात्रि के 7वें दिन मां कालरात्रि की पूजा, जानें पूजा विधि,मंत्र और आरती

Neemuch headlines April 15, 2024, 7:28 am Technology

नवरात्रि के 7वें दिन यानी महा सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। देवी कालरात्रि का पूजन रात्रि के समय करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा ने शुंभ निशुंभ का विनाश करने के लिए देवी कालरात्रि का रूप धारण किया है। देवी कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण है। इसलिए इनको कालरात्रि कहा जाता है।

मां का स्वरूप:-

एक वेधी जपाकरर्णपूरा नग्ना खरास्थित।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभयुक्तशरीरिणी।।

वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।

वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकारी।। माता का स्वरुप कालिका यानी काले रंग का है और अपने विशाल केश जो चारों दिशाओं में फैलते हैं।

मां कालरात्रि की चार भुजा और तीन नेत्र हैं।

मां कालरात्रि भगवान शिव के अर्ध्दनारीशवर रुप को दर्शाती है।

मां की चार भुजाओं में खड्ग, कांटा सुशोभित है। गले में माला है।

इनका एक नाम शुभंकरी भी है।

इनकी आंखों से अग्नि की वर्षा भी होती है।

मां का दाहिनी हाथ ऊपर हाथ वर मुद्रा में हैं तो नीचे दाहिना वाला अभय मुद्रा में है।

मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं।

मां कालरात्रि की सवारी गदर्भ है।

आइए जानते हैं मां कालरात्रि की पूजा कैसा करें और मां को कौनसा भोग लगाएं।

मां कालरात्रि की पूजा विधि:-

देवी पार्वती के कालरात्रि रूप की पूजा दोनों समय की जाती है सुबह और शाम दोनों समय। इस दिन सुबह के समय स्नान के बाद लाल कंबल के आसन पर बैठे। मां कालरात्रि की तस्वीर की स्थापना करें। मां को गंगाजल से स्नान जरुर कराएं। इसके बाद घी का दीपक जलाएं औप मां कालरात्रि के मंत्रों के जप करें और अंत में पूरे परिवार के साथ उनकी आरती करें।

मां कालरात्रि का भोग और मंत्र:-

मां कालरात्रि को मालपुआ के भोग लगाया जाता है। मां कालरात्रि को मालपुआ बहुत पसंद है। इसलिए मां को इस दिन विधि विधान से पूजा अर्चना करने के बाद मालपुआ का भोग जरूर लगाएं। मां कालरात्रि का मंत्र है। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै। इस मंत्र का कम से कम 108 बार जप जरूर करें।

मां कालरात्रि की आरती:-

कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।

काल के मुह से बचाने वाली ॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।

महाचंडी तेरा अवतार ॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा ।

महाकाली है तेरा पसारा ॥ खडग खप्पर रखने वाली ।

दुष्टों का लहू चखने वाली ॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा । सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥

सभी देवता सब नर-नारी । गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा । कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥

ना कोई चिंता रहे बीमारी । ना कोई गम ना संकट भारी ॥

उस पर कभी कष्ट ना आवें । महाकाली मां जिसे बचाबे ॥

तू भी भक्त प्रेम से कह । कालरात्रि मां तेरी जय ॥ आयुषी त्यागी के बारे में

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