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नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघण्‍टा की पूजा, जानें पूजाविधि, भोग, मंत्र, आरती, क्‍यों पड़ा मां का नाम चंद्रघण्‍टा

Neemuch headlines April 11, 2024, 7:13 am Technology

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघण्‍टा की पूजा की जाती है। मां का यह स्‍वरूप ममता का रूप अत्‍यंत तेजस्‍वी और शक्ति संपन्‍न माना गया है। मां के शीर्ष पर अर्द्धचंद्र के आकार का घंटा शोभायमान है, इसलिए मां को चंद्रघण्‍टा का नाम दिया गया। आइए आपको बताते हैं नवरात्रि के तीसरे दिन की पूजाविधि, भोग मंत्र, आरती और प्रसाद सहित पूरी जानकारी। नवरात्रि में चौथे मां चंद्रघण्‍टा की पूजा की जाती है और देवी भागवत पुराण में यह विस्‍तार से बताया गया है कि मां यह रूप बेहद सौम्‍य, शांत और सुख समृद्धि प्रदान करने वाला है। मां चंद्रघण्‍टा की पूजा करने से आपके सुख और भौतिक सुखों में वृद्धि होती है और मां दुर्गा समाज में आपका प्रभाव बढ़ाती हैं। कहते हैं कि नवरात्रि के तीसरे दिन विधि विधान से मां चंद्रघण्‍टा की पूजा करने से आपके आत्‍मविश्‍वास में इजाफा होता है।

 आइए जानते हैं नवरात्रि के तीसरे दिन की पूजाविधि, पूजा मंत्र और भोग, आरती, जानें मां का नाम क्‍यों पड़ा चंद्रघण्‍टा। क्‍यों कहते हैं

मां को चंद्रघण्‍टा:-

मां चंद्रघण्‍टा का रूप अलौकिक तेजमयी और ममतामयी माना गया है। मां के इस रूप की पूजा करने से आपको जीवन के हर क्षेत्र में मनचाही सफलता प्राप्‍त होती है। मां के मस्‍तक पर अर्द्धचंद्र के आकार का घंटा शोभायमान है, इसलिए देवी का नाम चंद्रघण्‍टा पड़ा। नवरात्रि के तीसरे दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर मां की पूजा करनी चाहिए। उनकी पूजा में लाल पीले गेंदे के फूलों का प्रयोग करना अच्‍छा होता है। पूजा में शंख और घंटों का प्रयोग करने से मां की कृपा आपको प्राप्‍त होती है।

मां चंद्रघण्‍टा का स्‍वरूप:-

 मां चंद्रघण्‍टा का स्‍वरूप स्‍वर्ण समान चमकीला होता है। उनका वाहन शेर है। उनकी 8 भुजाओं में कमल, धनुष, बाण, खड्ग, कमंडल, तलवार, त्रिशूल और गदा आदि जैसे अस्त्र और शस्त्र से सुसज्जित हैं। गले में सफेद फूलों की माला पहने मां ने अपने मस्‍तक पर चंद्रमा के साथ ही रत्‍नजड़ित मुकुट धारण किया हुआ है। वह सदैव युद्ध की मुद्रा में रहते हुए तंत्र साधना में लीन रहती हैं। मां चंद्रघण्‍टा का भोग:- मां चंद्रघण्‍टा का भोग लगाने के लिए केसर की खीर का भोग लगाना चाहिए। इसके साथ लौंग इलाइची, पंचमेवा और दूध ने बनी अन्‍य मिठाइयों का प्रयोग कर सकते हैं। साथ ही मां के भोग में मिसरी जरूर रखें और पेड़े का भोग भी लगा सकते हैं।

लाल रंग का महत्‍व:-

 लाल रंग को शक्ति और वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। मां की पूजा में लाल रंग के वस्‍त्र पहनकर पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है। मां चंद्रघण्‍टा आपके पूरे परिवार पर कृपा बनाए रखती हैं। आपके सुख, समृद्धि और सेहत में वृद्धि होती है।

मां चंद्रघण्‍टा का पूजा मंत्र:-

पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।

सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥

मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।

रंग, गदा, त्रिशूल,चापचर,पदम् कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥

मां चंद्रघण्‍टा की आरती जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।

पूर्ण कीजो मेरे सभी काम। चंद्र समान तुम शीतल दाती। चंद्र तेज किरणों में समाती।

क्रोध को शांत करने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली।

मन की मालक मन भाती हो।

चंद्र घंटा तुम वरदाती हो। सुंदर भाव को लाने वाली। हर संकट मे बचाने वाली।

हर बुधवार जो तुझे ध्याये। श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं। सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।

शीश झुका कहे मन की बाता।

पूर्ण आस करो जगदाता। कांची पुर स्थान तुम्हारा।

करनाटिका में मान तुम्हारा।

नाम तेरा रटू महारानी।

भक्त की रक्षा करो भवानी।

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