हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बच्चों की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए माता शीतला की पूजा की जाती है। इस दिन देवी शीतला को ठंडे व बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। 31 मार्च से शीतला सप्तमी प्रारंभ हो जाएगी। पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की शीतला सप्तमी 31 मार्च को रात 9.30 बजे से शुरू होगी। इसका समापन 1 अप्रैल को रात 9.09 बजे होगा। उदय तिथि के अनुसार शीतला सप्तमी 1 अप्रैल को मनाई जाएगी। शीतला माता शीतलता प्रदान करने वाली देवी मानी गई हैं। इसलिए सूर्य का तेज बढ़ने से पहले इनकी पूजा उत्तम मानी जाती है।
सप्तमी तिथि प्रारम्भ मार्च 31, 2024 को 09:30 पी एम बजे सप्तमी तिथि समाप्त अप्रैल 01, 2024 को 09:09 पी एम बजे शीतला सप्तमी पूजा मुहूर्त- 06:19 ए एम से 06:42 पी एम अवधि - 12 घण्टे 23 मिनट्स
शीतला अष्टमी की पूजा विधि:-
सुबह जल्दी उठकर नहा लें। पूजा की थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा, सप्तमी को बने मीठे चावल, नमक पारे और मठरी रखें। • दूसरी थाली में आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, मोली, होली वाली बड़कुले की माला, सिक्के और मेहंदी रखें। दोनों थालियों के साथ में ठंडे पानी का लोटा भी रख दें। अब शीतला माता की पूजा करें। माता को सभी सामग्री अर्पित करने के बाद खुद और घर से सभी सदस्यों को हल्दी का टीका लगाएं। मंदिर में पहले माता को जल चढ़ाकर रोली और हल्दी का टीका करें। आटे के दीपक को बिना जलाए माता को अर्पित करें। अंत में वापस जल चढ़ाएं और थोड़ा जल बचाकर उसे घर के सभी सदस्यों को आंखों पर लगाने को दें।
बाकी बचा हुआ जल घर के हर हिस्से में छिड़क दें। इसके बाद होलिका दहन वाली जगह पर भी जाकर पूजा करें।
वहां थोड़ा जल और पूजन सामग्री चढ़ाएं। घर आने के बाद पानी रखने की जगह पर पूजा करें। अगर पूजन सामग्री बच जाए तो गाय या ब्राह्मण को दे दें।
इस दिन घर में चूल्ही नहीं जलाते हैं:-
• शास्त्रों के अनुसार, शीतला माता की पूजा के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। माता शीतला की पूजा से पर्यावरण को स्वच्छ व साफ रखने की प्रेरणा प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस दिन बासी खाना नहीं खाया जाता है।