दीपावली का त्योहार कार्तिक माह की कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार दीवाली 12 नवंबर 2023 रविवार को मनाई जा रही हैँ।
जानिए पूजा का सबसे खास शुभ मुहूर्त, महानिशीथ काल मुहूर्त, मंत्र और पूजा की सरल विधि।
लक्ष्मी पूजा का सबसे शुभ:- महूर्तः-
लक्ष्मी पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त 12 नवंबर 2023 रविवार की शाम 05:39 से 07:35 के बीच लक्ष्मी पूजा का
महानिशीथ काल मुहूर्त : रात्रि 23:39 से 24:32 के
बीच लक्ष्मी पूजा का मंत्र:-
'शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा शत्रुबुद्धिविनाशाय
दीपकाय नमोऽस्तु ते।। दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः दीपो हरतु मे पाप संध्यादीप नमोऽस्तु ते ।।
1. एकाक्षरी मंत्र 'श्री'
2. ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः ।
3. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।
4. ॐ ऐं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः ॥
5. 'ॐ ऐं क्लीं सौः।'
6. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौं जगत्प्रसूत्यै नमः ।"
7. ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं क्लीं लक्ष्मी ममगृहे धनं पूरय चिन्ताम् दूरय स्वाहा।'
8. ॐ ऐं श्रीं महालक्ष्म्यै कमल धारिण्यै गरूड़ वाहिन्यै श्री ऐ नमः।'
9. ॐ श्रीं च विद्महे अष्ट ही च धीमहि तन्नो लक्ष्मी- विष्णु प्रचोद्यात।'
मुख्य मंत्र बोलते हुए इस प्रकार पूजन आरंभ करें, जैसे :-
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः आवाह्यामि नमः।'
लक्ष्मी पूजा की विधि:- •
नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद माता लक्ष्मी के मूर्ति या चित्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें।
• मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें। कलश में नारियल रखकर कलश की स्थापना करें।
• धूप, दीप जलाएं। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए।
• फिर देवी के मस्तक पर हल्दी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं।
• पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।
• पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाए। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है।
• प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
• अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
लक्ष्मी माता की आरती- ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निस दिन सेवत हर-विष्णु-धाता॥ ॐ जय..... उमा, रमा, ब्रह्माणी तुम ही जग-माता। सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय... तुम पाताल निरंजन, सुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥ ॐ
जय.... जिस घर तुम रहती, वह सब सद्गुण आता सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥
ॐ जय.... तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता। खान-पान का वैभव सब तुमसे आता ॥
ॐ जय..... शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥
ॐ जय..... महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता॥ ॐ जय....