अंतर्राष्‍ट्रीय वृद्धजन दिवस पर सम्‍मान समारोह आयोजित

neemuch headlines October 1, 2023, 5:09 pm Technology

नीमच। संयुक्त राष्ट्र ने विश्व में बुजुर्गों के प्रति हो रहे दुर्व्यवहार और अन्याय को समाप्त करने के लिए और लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए 14 दिसम्बर, 1990 को यह निर्णय लिया कि हर साल '1 अक्टूबर' को 'अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस' के रूप में मनाकर हम बुजुर्गों को उनका सही स्थान दिलाने की कोशिश करेंगे। 1 अक्टूबर, 1991 को पहली बार 'अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस' मनाया गया, जिसके बाद से इसे हर साल इसी दिन मनाया जाता है।

इसी क्रम में सामाजिक न्‍याय एवं दिव्‍यांगजन सशक्तिकरण विभाग एवं म.प्र. जन अभियान परिषद नीमच के निर्देशन में सामाजिक संस्‍था समर्पण फाउण्‍डेशन द्वारा ग्राम घसुंडी जागीर में में वृद्धजन सम्‍मान समारोह आयोजित किया गया कार्यक्रम की अतिथि रेणुका सुहिल, कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर एवं हेमा कुंवर आशा पर्यवेक्षक ने कहा कि हमारे शास्त्रों में भी बुजुर्गों का सम्मान करने की राह दिखलायी गई है। यजुर्वेद में भी कहा गया है कि संतान को अपने माता-पिता की सेवा और उनका सम्मान करना चाहिए। वृद्धजन सम्पूर्ण समाज के लिए अतीत के प्रतीक, अनुभवों के भंडार तथा सभी की श्रद्धा के पात्र हैं। समाज में यदि उपयुक्त सम्मान मिले और उनके अनुभवों का लाभ उठाया जाए तो वे हमारी प्रगति में विशेष भागीदारी भी कर सकते हैं। इसलिए बुजुर्गों की बढ़ती संख्या हमारे लिए चिंतनीय नहीं है। चिंता केवल इस बात की होनी चाहिए कि वे स्वस्थ, सुखी और सदैव सक्रिय रहें। सामाजिक कार्यकर्ता श्री नरेश जैन ने कहा कि बुजुर्गों का सम्मान करना हमारी परंपरा है। वृद्धजनों से हमें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सदैव मार्गदर्शन मिलता है। देश में सर्वाधिक युवा है, बुजुर्ग उन्हें मार्गदर्शन देते रहें तो भारत को अग्रणी देश बनाया जा सकता है। एक पेड़ जितना ज्यादा बड़ा होता है, वह उतना ही अधिक झुका हुआ होता है; यानि वह उतना ही विनम्र और दूसरों को फल देने वाला होता है|

यही बात समाज के उस वर्ग के साथ भी लागू होती है, जिसे आज की तथाकथित युवा तथा उच्च शिक्षा प्राप्त पीढ़ी बूढ़ा कहकर वृद्धाश्रम में छोड़ देती है। वह लोग भूल जाते हैं कि अनुभव का कोई दूसरा विकल्प दुनिया में है ही नहीं। अनुभव के सहारे ही दुनिया भर में बुजुर्ग लोगों ने अपनी अलग दुनिया बना रखी है। जिस घर को बनाने में एक इंसान अपनी पूरी जिंदगी लगा देता है, वृद्ध होने के बाद उसे उसी घर में एक तुच्छ वस्तु समझ लिया जाता है जो कि हमारे लिए चिंता का विषय है एवं इस समस्‍या का हल करना आवश्‍यक है। ग्राम में कुछ अत्यधिक उम्र की महिलाओं का सम्मान उनके घर जाकर किया गया।

संचालन एवं आभार समर्पण फाउंडेशन की सेक्टर प्रभारी दीपा चौरड़िया ने किया। ​

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