जलझूलनी एकादशी पर निकली शोभायात्रा, सनातन धर्म में एकादशी तिथि का होता है बड़ा महत्व

प्रदीप जैन। September 26, 2023, 12:14 pm Technology

सिंगोली। भाद्रमाह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी, पद्मा ,डोल ग्यारस या जलझूलनी एकादशी कहा जाता है।भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से योग निद्रा में चले जाते हैं और भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन वे अपनी शेषशैय्या पर करवट बदलते हैं।सनातन धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व है। साल भर में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं पदम् पुराण के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलने के समय प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं, इस अवधि में भक्तिभाव एवं विनयपूर्वक उनसे जो कुछ भी मांगा जाता है वे अवश्य प्रदान करते हैं।

इस एकादशी की पूजा और व्रत को विशेष फलदाई माना गया है।

जलझुलनी एकादशी का महत्व :-

इस दिन भगवान विष्णु के वामन रुप कि पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सुख, सौभाग्य में वृद्धि होती है।एक मान्यता के अनुसार इस दिन माता यशोदा ने जलाशय पर जाकर श्री कृष्ण के वस्त्र धोए थे,इसी कारण इसे जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है। मंदिरों में इस दिन भगवान श्री विष्णु की प्रतिमा या शालिग्राम को पालकी में बिठाकर पूजा-अर्चना के बाद ढोल-नगाड़ों के साथ शोभा यात्रा निकाली जाती है जिसे देखने के लिए लोग उमड पडते है।धर्म ग्रंथों के अनुसार, जलझुलनी एकादशी पर व्रत करने से सभी पाप नष्ट होते हैं एवं वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। जो मनुष्य इस एकादशी को भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करता है, वो तीनों लोक एवं त्रिदेवों की पूजा कर लेता है।

परम्परा अनुसार जलझुलनी एकादशी पर नगर सिंगोली स्थित पालीवाल समाज, धाकड़ समाज, गुर्जर गौड़ ब्राह्मण समाज, आदी गौड ब्राह्मण समाज, गुर्जर समाज,चारभुजा नाथ मंदिरों से भगवान को बेवाण में विराजमान कर नगर भ्रमण कर शोभायात्रा निकाली गई जो पालीवाल समाज ( बोरा जी) मंदिर से 4:30 बजे शुरू हुई व धाकड़ समाज, गुर्जर गौड़ ब्राह्मण समाज, आदी गौड ब्राह्मण समाज, गुर्जर समाज चारभुजा मंदिर होते हुए निचला बाजार कबुतर खाना होते हुऐ सायं 7 बजे ब्राह्मणी नदी स्थित बड़ा घाट पहुची जहाँ विधी विधान से पूजा अर्चना कर आरती कर प्रसाद वितरण किया गया,व पुनः बेवाण में भगवान को विराजित कर शोभायात्रा मंदिरों पहुँच समापन हुआ शोभायात्रा में सभी धर्मप्रेमी नगरवासियों माताओ, बहनो ने सहभागिता की और जगह जगह अपने इष्ट देव की पूजा धुप, दिप, फुल, नारियल अर्पित कर सुख समृद्धि की कामना की।

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