14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में अमरनाथ यात्रा की प्रतीक 'छड़ी मुबारक' की स्थापना के साथ ही इस साल की अमरनाथ यात्रा का समापन हो गया। हालांकि सैद्धांतिक तौर पर इसका समापन कई दिन पहले उसी दिन हो गया था जब आइन बोर्ड ने श्रद्धालुओं की शिरकत पर पाबंदी लगा दी थी। अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार सुबह महंत दीपेंद्र गिरि के नेतृत्व में छड़ी मुबारक पवित्र गुफा पहुंची। सुबह सूर्य उदय के साथ श्रावण पूर्णिमा के मुहूर्त में पवित्र गुफा में दर्शन किए गए। इसके बाद पूजा अर्चना की गई।
वार्षिक अमरनाथ यात्रा आज श्रावण पूर्णिमा के दिन 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा के मुख्य दर्शनों के साथ ही संपन्न हो गई। आज करीब डेढ़ सौ श्रद्धालुओं, जिनमें अधिकतर सुरक्षाकर्मी ही थे, ने गुफा के दर्शन किए जबकि 29 जून को आरंभ हुई अमरनाथ यात्रा के 62 दिनों के भीतर 4.50 लाख श्रद्धालुओं ने हिमलिंग के दर्शन किए हैं। इस बार अमरनाथ यात्रा में 40 श्रद्धालुओं की मौत भी हो गई। पिछले साल यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 3.10 लाख थी और वर्ष 2012 में यह 6.21 लाख थी। इस यात्रा की प्रतीक पावन पवित्र 'छड़ी मुबारक' को पवित्र गुफा में भी स्थापित किया गया, जिसे लेकर साधुओं का एक दल श्रीनगर के दशनामी अखाड़े से चला था और इस दल का नेतृत्व दशनामी अखाड़े के महंत दीपेंद्र गिरि ने किया था। पूजा प्रतिष्ठा के बाद इस 'छड़ी मुबारक' को पुनः उसी अखाड़े में स्थापित कर दिया जाएगा।
ज्यादातर तीर्थयात्रियों ने 45 किलोमीटर लंबे पारंपरिक पहलगाम मार्ग के बजाय 16 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से यात्रा की। महंत दीपेन्द्र गिरि के नेतृत्व में सुबह पंजतरनी से शुरू हुई छड़ी मुबारक की यात्रा में बड़ी संख्या में सिर्फ साधुओं ने हिस्सा लिया। बम बम भोले और हर हर महादेव जैसे नारों की गूंज के साथ छड़ी मुबारक को पवित्र गुफा में लाया गया। छड़ी मुबारक के यहां पहुंचने के बाद शुरू हुई पूजा दिनभर चली व शाम को छड़ी मुबारक को रात्रि विश्राम के लिए पंजतरनी ले जाया गया।