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काँग्रेस नेता भानुप्रताप का सांसद पर तीखा आरोप, अफ़ीम सीजन आते ही शुरू हो गई किसानों को भरमाने की नौटंकी

Neemuch Headlines August 16, 2023, 7:58 pm Technology

सात सालों से अफ़ीम के दामों में वृद्वि की खोखली बातें करने वाले सांसद ने फिर केंद्रीय वित्त मंत्री से अफ़ीम के दाम बढ़ाने की मांग का नाटक दोहराया

नीमच । नीमच जिला युवा कांग्रेस अध्यक्ष और नीमच विधानसभा क्षेत्र के सक्रिय नेता भानुप्रताप सिंह राठौड़ ने आरोप लगाया है कि क्षेत्रीय सांसद पिछले सात सालों से अफ़ीम के दामों में बढ़ोतरी करवाने के दावे कर अफीम उत्पादकों को भरमा रहें हैं । केंद्र में भाजपा की सक्षम सरकार होने के बावजूद मूल्य वृद्धि करवाने में नाकाम रहे सांसदजी ने चुनावी साल में गत दिनों केंद्रीय वित्त मंत्री के समक्ष दामों में वृद्धि की मांग रख कर फिर किसानों को झांसा देने की कोशिश की हैं। यहां जारी एक बयान में राठौड़ ने कहा कि, भाजपा की केंद्रीय सरकार ने पिछली बार वर्ष 2014 - 15 के अफ़ीम सीज़न में प्रति हेक्टेयर औसत अफ़ीम उत्पादन में आधार पर ग्यारह अलग - अलग स्लैब में अफ़ीम के दाम बढ़ाये थे ।

इसके अंतर्गत न्यूनतम 870 रु प्रति किलोग्राम से अधिकतम 3500 रु प्रति किलोग्राम तक मूल्य निर्धारित किये गए थे। दामों की इस वृद्धि को लेकर भाजपा यह भ्रामक प्रचार करती रही है कि हमारी सरकार ने अफ़ीम की 3500 रू प्रति किलोग्राम की ऊंची कीमत तय करवाई थी।

राठौड़ ने कहा कि हकीकत यह है कि लगभग 80 प्रतिशत अफ़ीम उत्पादकों द्वारा सरकार को दी जाने वाली अफीम का प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 56 से 70 किलोग्राम के बीच ही रहता है । बाकी के 20 प्रतिशत किसान 44 से 56 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक का औसत उत्पादन ही कर पाते हैं । उत्पादन की इस मात्रा के आधार पर सरकार द्वारा 7 वर्ष पूर्व तय किए गए मूल्यों के स्लैब के तहत वास्तव में किसानों को 870 से 1875 रु प्रति किलोग्राम तक का भुगतान ही प्राप्त होता है और 2250 से 3500 रु प्रति किलो ग्राम की कीमत केवल स्लैब चार्ट में दिखावे भर के लिए ही दर्ज हैं।

राठौर ने कहा कि इसके बाद पिछले सात सालों से अफीम के दामों में भाजपा सरकार ने एक धेले की भी बढ़ोतरी नहीं की है । हर साल सांसद अफीम सीजन आते ही अफीम के दामों में वृद्धि करवाने के झूठे आश्वासन देते हैं और केंद्रीय वित्त मंत्री से मांगे भी करते रहते हैं । लेकिन सक्षम सरकार होने के बावजूद मूल्य वृद्धि की बात अभी तक खोखली ही सिद्ध होती आ रही है । खरीद मूल्य की स्थिरता तथा 1 अप्रैल 2016 से डोडा चौराहा व्यापार पर प्रतिबंध से आय के एक अन्य स्रोत के काम हो जाने और दूसरी तरफ अफीम फसल उत्पादन लागत में लगातार वृद्धि के कारण किसानों का अफीम उत्पादन समीकरण पूरी तरह बिगड़ गया है।

राठौड़ ने कहा कि किसानों के लिए अफीम का उत्पादन आर्थिक दृष्टिकोण से बहुत परेशानियों का कारण बनता चला गया है और समस्या के समाधान के लिए ही किसान क्रय मूल्य में बढ़ोतरी की मांग लगातार करते आ रहे हैं। केंद्रीय राजस्व विभाग के व्यय सेक्शन ने अफीम के क्रय मूल्यों की वृद्धि के लिए वर्ष 2016 में एक समिति गठित की थी । समिति ने उत्पादन से जुड़े हर पहलुओं बाजार की स्थिति एवं लागत वृद्धि तथा डोडाचूरा कारोबार पर रोक से होने वाले नुकसान का समावेश करते हुए अक्टूबर 2016 में ही अपनी अनुशंसा सरकार को सौंपते हुए अविलंब प्रत्येक स्लैब में 85 से 87 प्रतिशत तक वृद्धि की अनुशंसा कर दी थी।

राठौड़ ने कहा कि अपने आप को किसानों का हितैषी बताने वाली भाजपा सरकार ने शर्मनाक रवैया अपनाते हुए अभी तक समिति द्वारा अनुशंसित 85 से 87 प्रतिशत की वृद्धि भी लागू नहीं की है । इसी कारण से किसानों को वर्ष 2023 के अफ़ीम तौल वर्ष को मिलाकर लगभग सात वर्षों से प्रति वर्ष अफ़ीम के बदले 25 करोड़ रुपए का भुगतान कम प्राप्त हो रहा है। राठौड़ ने कहा कि समिति द्वारा वर्ष 2016 में रिपोर्ट सौंपने के बाद गुजरे सालों में भी लागत मूल्यों में और वृद्धि हो चुकी हैं । इसीलिए समिति द्वारा पूर्व अनुशंसित 85 से 87 प्रतिशत तक की वृद्धि भी उपयुक्त नहीं होकर वास्तव में मौजूदा दरों में कम से कम 300 प्रतिशत की वृद्धि लागू की जानी चाहिए थी ।

लेकिन सरकार ने अफीम उत्पादकों को निराश किया है। इस मापदंड देखें तो अफ़ीम उत्पादकों को हर साल भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है और इस अन्याय के लिए सांसद की अकर्मण्यता जिम्मेदार हैं। किसानों के साथ वादों की ठगी और नाकामी छिपाने के लिए सांसद ने इस वर्ष होने वाले विधानसभा सभा चुनाव के पहले एक बार फिर पिछले सप्ताह केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से भेंट कर अफ़ीम के दामों में वृद्धि की मांग रखने की नौटंकी कर अफ़ीम उत्पादकों को पुनः भरमाने की कोशिश की हैं। राठौड़ ने कहा कि सांसद अच्छी तरह जानते हैं कि घोषित होने वाली अफ़ीम नीति में कभी भी मूल्य वृद्धि का विषय शामिल नहीं किया जाता हैं ।

अगर सांसदजी वाकई में अफ़ीम के दामों में वृद्धि को लेकर गम्भीर थे उनको नीति आने के पहले ही इस बारे में प्रयास करने थे । इस बारे में हमने 11 अप्रैल 2023 को केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिख कर अफ़ीम और सीपीएस के तहत लिए जाने वाले डोडों के दामों में वृद्धि की मांग भी की थी। लेकिन केंद्रीय वित्त मंत्री ने इस वाजिब मांग को अनदेखा किया और सांसद जी भी मौन साधे बैठे रहे। राठौड़ ने मांग की है कि अफीम उत्पादन लागत में भारी बढ़ोतरी के चलते सालों से आर्थिक नुकसान झेल रहे किसानों के साथ झूंठे वादों, आश्वासनों और दिखावे की कोशिशों की नौटंकी बन्द कर अविलम्ब अफ़ीम और डोडों के दामों में लगभग 400 प्रतिशत की वृद्धि घोषित की जानी चाहिए।

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