उत्तराखंड। अमरनाथ यात्रा में अब शामिल होने वालों की संख्या नगण्य होने का परिणाम है कि श्रद्धालुओं की सेवा में जुटे लंगरवाले परेशान हो गए हैं। उनकी परेशानी का कारण यात्रियों की अनुपस्थिति में उनका खराब हो रहा भोजन है। उन्हें लंगर लगाने की अनुमति इन्हीं शर्तों पर मिली थी कि जब तक यात्रा जारी रहेगी, उन्हें लंगर खुला रखना होगा।
हालांकि इस बार जिन 123 संस्थाओं को लंगर लगाने की अनुमति दी गई थी उनमें से आधे से अधिक यात्रा के ढलान पर आते ही अपना बोरिया बिस्तर बांध कर गुम हो चुकी हैं। बचे हुए में से 50 परसेंट भी जल्द से जल्द अपने लंगरों को बंद कर देना चाहते हैं। ऐसे में अगर अधिकतर लंगर बंद हो जाते हैं तो सबसे बड़ी परेशानी उन श्रद्धालुओं को पेश आने वाली है जो अभी भी यात्रा में शिरकत कर रहे हालांकि अब प्रतिदिन शिरकत करने वालों का आंकड़ा दो से तीन हजार के आंकड़े को पार नहीं कर पा रहा है। ऐसे में बचे खुचे लंगरवालों पर दबाव बनाया जा रहा है कि वे अपनी व्यवस्थाएं अगले आदेश तक बनाए रखें। ऐसे में बाबा बर्फानी लंगर संगठन के प्रधान राजन गुप्ता कहते थे कि हम पहले भी अमरनाथ यात्रा की अवधि को सीमित करने की मांग करते आए हैं क्योंकि पिछले कई सालों से यह देखा जा रहा है कि अमरनाथ यात्रा के प्रतीक हिमलिंग के पिघलते ही यात्रा ढलान पर आ जाती है और फिर श्रद्धालुओं की तलाश करनी पड़ती है। अमरनाथ यात्रियों की संख्या में कमी आने के कई अन्य कारणों में जम्मू-पठानकोट नेशनल हाईवे पर दो पुलों को बंद कर दिए जाने से बनी अव्यवस्था के अतिरिक्त हिमलिंग का पिघल जाना भी शामिल है। पिछले साल भी खराब मौसम के कारण कई दिन पहले ही यात्रा की समाप्ति की घोषणा कर दी गई थी और फिर रक्षाबंधन के दिन छड़ी मुबारक की स्थापना की औपचारिकता निभाई गई थी। इस बार यह यात्रा 31 अगस्त तक रक्षाबंधन के दिन तक चलनी है और प्रशासन की परेशानी यह है कि वह 2 से 3 हजार के बीच शामिल। 2 लाख के करीब सुरक्षाकर्मियों को सुरक्षा के लिए तैनात किए हुए है।
हालांकि आने वाले दिनों में प्रशासन को अब यह उम्मीद नहीं है कि यह संख्या भी बरकरार रहेगी।