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नृसिंह जयंती की कथा क्या है? आरती, मंत्र, स्तुति, पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व भी जानिए

Neemuch headlines May 4, 2023, 10:54 am Technology

4 मई, गुरुवार यानि आज को नरसिंहजी मनाई जाएगी।

आइए यहां जानते है उनकी का मंत्र आरती, विधि, पूजन के शुभ मुहूर्त और स्तुति के बारे में...

नृसिंह जयंती / अवतार की कथा:-

जय रक्षकाव हुआ तो उसका भाई हिरण्यकशिपु बहुत दुःखी हुआ। वह भगवान का घोर विरोधी बना उसने अबनने की भावना से कठोर तप किया तप का फल उसे देवता. मनुष्य पशु आदि से मरने के वरदान के रूप में मिला वरदान पाकर तो यह मान हिरामन बहुत कठोरा देव-दानव सभी उसके चरणों की वंदना में रत रहते थे। भगवान की पूजा करने वालों की वह कठोर देता था और वह उन सभी से अपनी पूजा करवाता था उसके शासन से सब लोक और एक ओर कोई सहारा न पाकर भगवान की प्रार्थना करने लगे। देवताओं की स्तुति से प्रसन्न होकर भगवान नारायण ने हिरणकशिपु के वच का हासन दिया।

उधर ताराज का अत्याचार दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा यहाँ तक कि वह अपने ही पुत्र को भगवान का नाम लेने के कारण तरह-तरह का कर देने लगा। प्रहलाद बचपन से ही खेल-कूद कर भगवान के पान महा करता था यह भगवान का परम भक्त था। वह समय-समय पर असुर बालकों को धर्म का उपदेश भी देता रहता था। असुरों को धर्म उपदेश की बात सुनकर हुआ उसने को दरबार में बुलाया पहलाद बड़ी तारा के सामने खड़ा हो गया। उसे देखकर राज ने डांटते हुए तू है ने किसके पर मेरी मा के विरुद्ध काम किया है?" इस पर हादसे का पिताजी से लेकर तिनके सब छोटे-बड़े घर-घर जीवों को भगवान ने ही अपने वश में कर रखा है। वह परमेर हो अपनी शक्तियों इसकी रचना, रक्षा और संहार करते हैं। आप अपना यह भाव को अपने मन को सबसे प्रति उदार बनाए।

प्रहलाद की बात को सुनकर हिरणकशिपु का शरीर के मारे घर-घर का लगा। उसने प्रहलाद से कहा- र बुद्धवान हर जगह है तो बता इस में क्यों नहीं दिखता?" यह कहकर क्रोध से समता आ लेकर सिंहासन से कूद पड़ा उसने बड़े जोर से उस को एक माता उसी समय उस खंभे के भीतर से नृसिंहा प्रकट हुए।

उनका शरीर सिंह का और आधा मनुष्य के रूप में था में ही नृसिंह भगवान ने हिरण्यकशिपु को अपने जांपों पर लेते हुए उसके सीने को अपने नाखूनों से काट दिया और उसकी जीवनलीला समाप्त करके अपने प्रहलाद की श्री नरसिंह भगवान की।

आरती:-

नरसिंह की वंदना मेरे प्रभुजी पहली आरती जाद हिरणाकून उदर विदारे

दूसरी बलि के द्वार पधारे हरि देवा आरती कीजे नही तीसरी आरती का पारे भुजा धारे चौधी आरती असुर संहारे, विभीषण पधारे।

आरती कीजे नरसिंह कुंवर की पांचवीं आरती कन्स पठारे, गोपीवाला प्रतिपाल तुलसीको पत्र मणि हरा निरखिगायें दानवीरा आरती की नरसिंह कुंवर की विमल श गा मेरे प्रभु

मंत्र:-

मनूम म नरसिंहाय नमः

ॐ श्री नमः श्र तिम् पुराणं परात्परेशन

ॐ वीर महाविष्णु सर्वमुख श्री नृसिंह स्तुति

स्तोत्र:-

सन्द श्रीरुद्र उवाच भक्ते ॥

इंद्र उवाच नीता परम भरा।

निहिता नाकिन् ॥3॥ समय उगाम पितर ऊचुः आदानप्रदान 5॥

यो नो गति तुभ्यं प्रणताः नृसिंह नित्यम् ॥7॥

नागा अपु मेन पापेन रत्नानि वीराननः।

पटना [दानन्द नमो ॥४॥ मनव ऊयुः

निदेशकारिणी दितिजेन देव परितः

भक्ताः प्रभोकर नाम कमा जापतप प्रजेशा से परेशाभिनयेन प्राणाम निषिद्धाः।

म एव क्या मंगल कृताः।

स एवं नीतीश कल्पस्थः कुशलाय कल्पते 11#

धारणा अ हरेक भार्गमाता देवास्त्वा समाचितः ॥12॥

पक्षा घु मनुरमुख्याः कर्मभिस्ते मनोहदि हर उपनीतः पंचा पंचविंशः॥13॥

कुपुरुषो नष्ट चिवृतः साधुभिर्वदा ॥ 14॥

सभा सत्रेषु यशोमती लभामहे। मेदुर्जनभन् 150 विटिनमुनाऽनुकारिताः।

रेजिनादितो नरसिंहनाथ विभवाय नो विष्णुपादा તનુંરિણામ ( આ ઇબાદ કર્યોતામા सोधितस्तस्येदं निधन विद्यः17 ॥

इति श्रीमद्भागवतान्तर्गते सप्तमस्कन्धेऽष्टमध्ये नृसिंहस्तोत्र संपूर्णम् ॥

पूजा विधि:-

आज ही के दिन प्रात ब्रह्म मुहूर्त में नोवर पूरे घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद गंगा या गौमूत्र का छिड़काव कर पूरा पर पवित्र करें। निम्न मंत्र बोले- नृसिंह देवदेवेश त जन्मदिने शुभे।

उपवासं करिष्यामि सर्वभोगविवर्जितः॥

इस मंत्र के साथ दोपहर के समयम तिल गौमूत्र, तिका और आला मल कर कार स्नान करें। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए।

पूजा के स्थान को गोबर से लीपकर तथा कलश में ताबा इत्र उसमें कम बनाना चाहिए। कमल पर सिंह, भगवान नृसिंह लक्ष्मीजी की मूर्ति स्थापित करना चाहिए।

सत्यदत्रों से इनकी प्राण-प्रतिष्ठा कर षोडशोपचार से पूजन करना चाहिए। इस दिन बनी को दिनभर उपवास रहना चाहिए। नात्रि में गायन, वादन, पुराण पण या हरि संकीर्तन से जागरण करें। दूसरे दिन फिर पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

अपने सामथ्य के अनुसार भू, गौ, तिल, स्वर्ण तथा वस्त्रादि का दान देना चाहिए। कुसंग तथा पापाचार का त्याग करना चाहिए। नरसिंह जयंती के शुभ मुहूर्त एवं

पारणसमय:-

नरसिंह जयंती 4 मई 2023, गुरुवार वैशाख शुक्ल चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ-

03 मई 2023 बुधवार को 11.49 पीएम से का समापन 04 नई 2023, गुरुवार को 11.44 पीएम पर ही संकल्प का समय

(मध्याह्न 10.58 ए एम से 01.38 पीएम तक नरसिंह जयंती पूजन समय काल में 04.18 पी एम से 06.38 पीएम तक

कुल अवधि02 घंटे 40 मिन नरसिंह जयंती पर - अपने दिन 05.38- ए. एम. 04 मई 2023 दिन का

चौघड़िया शुभ- 05.38 ए एम से 07.18 ए. एम चार- 10.38- ए एम से 12-18 पी एम लाभ- 12.18 पीएम से 01.58. पी. एम अमृत- 01.58 पीएम से 03.38 पी. एम.

शुभ- 05.18 पीएम से 06.58. पी एम रात का

चौघड़िया अमृत- 06.58 पीएम से 08.18 पीएम 08.38 पीएम से 09.38 पीएम

लाभ- 12.18 ए. एम से 5 मई को 01.38 ए. एम शुभ- 02.58 ए एम से

5 मई को 04.18 ए. एम अमृत- 04.18 ए एम जो 5 मई को 05.38 ए एम तक

महत्व:-

महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नृसिंह जयंती किया जाता है। इस वर्ष 4 मई 2023, गुरुवार को यह मनाया जाएगा। पुराणों के अनुसार उस पावन दिन भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार धारण किया था। इसी वजह से यह दिन भगवान नृसिंह के जयंती रूप में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन व्रतधारी को दिनभर उपवास रहना चाहिए सां ही ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए क्रोध, लोभ, मोह, झूठ कुसंग तथा पापाचार का त्याग करना चाहिए।

इसके साथ ही अपने सामर्थ्य के अनुसार भू गौ, तिल, स्वर्ण तथा दि का दान देना चाहिए।

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