Latest News

नवरात्रि आठवां दिन, आज महागौरी की पूजा विधि, भोग, मंत्र इनकी पूजा से लाभ जानें

Neemuch headlines March 29, 2023, 6:46 am Technology

 चैत्र नवरात्रि अंतिम पड़ाव में पहुंच चुके हैं और आज मां दुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी की पूजा की जाएगी। नवरात्रि के आठवें दिन की पूजा का विशेष महत्व है, इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। माता के कुछ भक्त जो पूरे 9 दिन व्रत नहीं रख पाते, वे प्रतिपदा और अष्टमी तिथि को व्रत रखते हैं। देवीभगवत् पुराण में बताया गया है कि आठवें दिन की पूजा मां दुर्गा के मूल भाव को दर्शाता है और महादेव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में महागौरी ही सदैव विराजमान रहती हैं, इसलिए माता का एक नाम शिवा भी है।

महागौरी की पूजा करने से सोमचक्र जागृत हो जाता है और इनकी कृपा मात्र से हर असंभव कार्य पूरा हो जाता है। आइए जानते हैं मां महागौरी का स्वरूप, भोग, आरती और मंत्र... इस तरह पड़ा महागौरी नाम देवीभागवत पुराण में बताया गया है कि देवी पार्वती का जन्म राजा हिमालय के यहां हुआ था। माता को मात्र 8 वर्ष की आयु में ही अपने पूर्वजन्म की घटनाओं का आभास हो गया था। मात्र 8 वर्ष की आयु में ही माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या भी शुरू कर दी थी। इसलिए नवरात्रि की अष्टमी तिथि को महागौरी की पूजा की जाती है। अपनी तपस्या के दौरान माता ने केवल वायु पीकर तप करना शुरू कर दिया था। तपस्या से माता पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ था इसलिए माता पार्वती का नाम महागौरी पड़ा।

मां महागौरी का प्राकट्य:-

तपस्या से माता पार्वती का शरीर काला पड़ गया था। तब भगवान शिव ने तपस्या से प्रसन्न होकर महागौरी से गंगा स्नान के लिए कहा। जिस समय माता पार्वती ने गंगा में डूबकी लगाई तब देवी का एक स्वरूप श्याम वर्ण के साथ प्रकट हुईं, जो कौशिकी के नाम से जानी गईं और एक स्वरूप उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ, वह महागौरी कहलाईं। महागौरी अपने भक्तों की हर मुरादों को पूरा करती हैं और उनकी राह में आ रही अड़चनों को दूर करती हैं। मां की कृपा से कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती।

ऐसा है मां महागौरी का स्वरूप:-

देवीभागवत पुराण में बताया गया है कि मां महागौरी के सभी वस्त्र और आभूषण सफेद रंग के हैं

इसलिए माता को श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है। अपनी तपस्या से इन्होंने गौर वर्ण प्राप्त किया था। उत्पत्ति के समय यह आठ वर्ष की थीं, इसलिए इन्हें नवरात्र के आठवें दिन पूजा जाता है। अपने भक्तों के लिए यह अन्नपूर्णा स्वरूप हैं। यह धन, वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी हैं। सांसारिक रूप में इनका स्वरूप बहुत ही उज्जवल कोमल, श्वेतवर्ण और श्वेत वस्त्रधारी है। देवी एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में डमरू लिए हुए हैं। वहीं एक हाथ अभय और एक हाथ वरमुद्रा में है। देवी महागौरी को गायन-संगीत प्रिय है और यह सफेद वृषभ यानि बैल पर सवार हैं। चैत्र नवरात्रि अष्टमी तिथि कन्या पूजन:- अष्टमी पर कन्या पूजन का भी विधान है। हालांकि कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं। लेकिन, अष्ठमी के दिन कन्या पूजन करना भी श्रेष्ठ रहता है। कन्याओं की संख्या 9 हो तो अति उत्तम है अन्यथा दो कन्याओं के साथ भी पूजा की जा सकती है। कन्याओं के साथ एक लांगूरा (बटुक भैरव) भी होना चाहिए। कन्याओं को घर पर बुलाकर उनके पैरों को धुलकर कुमकुम का टिका लगाएं और फिर पूजन में कन्याओं को हलवा-चना, सब्जी, पूड़ी आदि चीजें होनी चाहिए और सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा भी दें। इसके बाद पूरे परिवार के साथ चरण स्पर्श करें और माता के जयाकरे लगाते हुए कन्याओं को विदा करें।

मां महागौरी पूजा विधि:-

नवरात्रि की अष्टमी तिथि की पूजा भी अन्य तिथियों की तरह ही की जाती है। जिस तरह सप्तमी तिथि को माता की शास्त्रीय विधि से पूजा की गई, उसी तरह अष्टमी तिथि की भी पूजा होगी। इस दिन देसी घी का दीपक जलाते हुए मां के कल्याणकारी मंत्र ओम देवी महागौर्यै नम: मंत्र का जप करें और माता को लाल चुनरी अर्पित करें। इसके बाद रोली, अक्षत, सफेद फूल, नारियल की मिठाई आदि पूजा की चीजें अर्पित करें। अगर आप अग्यारी कर रहे हैं तो रोज की चरह लौंग, बताशे, इलायची, हवन सामग्री आदि चीजें अर्पित करें। इसके बाद कपूर या दीपक से पूरे परिवार के साथ महागौरी की आरती करें और माता के जयाकरे लगाएं। इसके बाद दुर्गा मंत्र, दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती आदि का पाठ करें और शाम के समय में भी पूजा करें।

मां महागौरी के मंत्र:-

श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

महागौरी माता की आरती:-

जय महागौरी जगत की माया।

जया उमा

भवानी जय महामाया।।

हरिद्वार कनखल के पासा।

महागौरी तेरा वहां निवासा।।

चंद्रकली और ममता अंबे।

जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।। भीमा देवी विमला माता।

कौशिकी देवी जग विख्याता।।

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।

महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।। सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।

उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।

तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।

तभी मां ने महागौरी नाम पाया।

शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।

शनिवार को तेरी पूजा जो करता।

मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।

Related Post