कुकडेश्वर। आज हम देखते हैं हर व्यक्ति को सुख प्राप्त करने की चाह रहती हैं सभी सुख की खोज में भटकते रहते हैं लेकिन जिनवाणी हमें बता रही हैं सुख के लिए एकान्त की आवश्यकता है। एकांत पाने के लिए इस बाहरी चकाचौंध से दूर रहकर चिंतन करने से मिलता है, चिंतन से अज्ञान और मोह का विवेचन करने से ज्ञान का प्राप्त होगा और ज्ञान के प्रकाश से एकांत की स्थिति प्राप्त होती हैं।
उक्त बात हुकमेश संघ के नवम नक्षत्र आचार्य श्री रामेश की आज्ञानुवती शासन दीपिका परम पूज्य श्री वनिता श्री जी म. सा. ने कुकड़ेश्वर स्थानक भवन में धर्म सभा को फरमाते हुए बताया कि मानव को सुख के लिए गुरु, भगवंत ने चार फार्मूला अपनाने को कहा।
चिंता नहीं चिंतन करो, चलो फिरो थको मत, खाओ पियो छको मत, उपदेश कम दो आचरण ज्यादा करो। आज हम देखते हैं कि हर व्यक्ति सुख की चाह में सुख वैभव विलासिता के लिए अपने टेंशन को बढ़ा रहा है आदमी चिंता में घिरा हुआ है जो जिंदा रहकर भी मुर्दा समान चिंता की चिता में जल रहा है।
आचार्य फरमाते हैं कि मानव को चिंता नहीं चिंतन करना चाहिए चिंतन से ज्ञान के चक्षु खुलते हैं और सुख की अनुभूति होती हैं इसी प्रकार चलो फिरो थको मत निरंतर धर्म पथ पर चलते रहो धर्म करने में थको मत खाओ पियो छको मत शुद्ध सात्विक भोजन करो भूख से कुछ कम खाओ शुद्ध भोजन करने से मन स्वस्थ रहेगा और तन स्वस्थ रहेगा
उपदेश कम दो आज हम देखते हैं कि हम आचरण में तो कम लेते हैं और बेवजह रायचंद बने फिरते हैं उपदेश देना कम करो और महापुरुषों के बताए मार्ग प्रभु की जिनवाणी पर चलने को आचरण में लाओं।
उक्त अवसर पर परम पूज्य निष्ठा श्री जी म. सा. ने फरमाया कि जीवन जीने के लिए अंदर में परिर्वतन लाने के लिए सम्यक ज्ञान की आवश्यकता होती है परिवर्तन लाना अत्यावश्यक है, जिसने सम्यक दर्शन प्राप्त कर लिया उसका भूत भविष्य वर्तमान सुधर जाएगा सम्यक दर्शन पाने के लिए शत्रु के प्रति प्रेम का भाव जागृत रखना होगा हर जीव पर दया करना होगी सत्य अहिंसा के मार्ग को अपनाने वाला ही सम्यक्त व्यक्ति कहलाता है।