त्याग मानव को सारस्वत सुख देता है--प पू श्री वनिता श्री जी म.सा.

मनोज खाबिया June 25, 2022, 5:36 pm Technology

मन को धर्म से जोड़ दो कल्याण हो जायेगा--श्री निष्ठा श्री जी। कुकडेश्वर। जीवन की माला के मोती यूं ही ना बिखर जाए शुभ कर्म कर इस मानव जीवन को सफल बनाने के लिए परिग्रह को छोड़ना होगा शांति के लिए समाधि चाहिए और परम सुख पाने के लिए त्याग जरूरी है। उक्त बात हुकमेश संघ के नवम नक्षत्र आचार्य श्री 1008 रामलाल जी म.सा. की आज्ञा अनुवर्ती शासन दीपिका परम पूज्या श्री वनिता श्री जी म.सा. ने स्थानक भवन में धर्म सभा के 3 बीच फरमाते हुए कहा कि संयमी जीवन, साधना का मार्ग,और संयम की आराधना से शाश्वत सुख मिलता है मन के विचारों में बदलाव नहीं रहे इसके लिए मान को छोड़ त्याग की भावना जीवन में लाना चाहिए जो त्याग करेगा वही त्यागी कहलाएगा और त्यागी जीवन अपनी आत्मा का कल्याण करेगा। उक्त अवसर पर श्री निष्ठा श्री जी म. सा. ने कहा कि हमारा मन चलाय मान है मन भटकता रहता है मन के कारण हम इस सांसारिक सुख की और दौड़ते रहते हैं। इस मन को हमें धर्म की क्रियाओं से जोड़ना है अगर मन धर्म मय हो जाएगा तो आत्मा का भटकाव रुक जाएगा मन चार प्रकार के होते हैं। भरा हुआ मन,ड़रा हुआ मन, थका हुआ मन, और जिंवत मन आप ने फरमाया कि अपने मन को जिंवत बनाए जिवंत मन असंभव को संभव बनाता है जीवन में असंभव जैसी कोई बात नहीं रहती है मन अपने वश में रहकर धर्म आराधना से जुड़कर त्याग तपस्या में लगा रहता है गुरु आज्ञा और प्रभु की वाणी हमें ही बताती हैं कि मन को केंद्रित करने के लिए त्याग तपस्या जरूरी है त्याग से संकल्प शक्ति बढ़ती है, तपस्या कर्म की निर्जरा करती हैं। प्रभु व गुरु के बताए मार्ग पर चल अपनी आत्मा का कल्याण कर सकते हैं। उक्त अवसर पर रामपुरा से श्री संघ दर्शन हेतु आया संघ अध्यक्ष धन्य कुमार धाकड़, अशोक कर्नावट, संजय चेलावत, प्रवीण चौधरी, सुशील लोढ़ा आदि उपस्थित थे। स्थानक भवन में विराजित आदि ठाणा 4 के सानिध्य में धर्म आराधना का ठाट लगा हुआ है। रविवार को एक दिवसीय समता संस्कार शिविर का आयोजन महा सतियाजी के सानिध्य में रखा गया है।

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