मनुष्य को भोजन लिमिटेड एवं भजन अनलिमिटेड करना चाहिए-शंकराचार्य स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महाराज

निर्मल मूंदड़ा June 6, 2022, 2:06 pm Technology

रतनगढ़। मनुष्य को अपने जीवन मे इस लोक के साथ ही परलोक को भी सुधारना है तो एक बात का विशेष ध्यान रखना है कि भोजन हमेशा लिमिटेड एवं भजन अनलिमिटेड करना है। यही आगे जाकर आपका स्वर्ग जाने का मार्ग प्रशस्त करेगा उक्त आशय के विचार जगतगुरु शंकराचार्य जी स्वामी श्री ज्ञानानंद जी तीर्थ भानपुरा के द्वारा रतनगढ़ में श्री गोवर्धन नाथ मंदिर परिसर पर आयोजित प्रवचनों के दौरान बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालु महिला पुरुष भक्तों के बीच अपने आशिर्वचनों के दौरान कहीं।

संत श्री ने मनुष्य शरीर की व्याख्या देहालय एवं देवालय से करते हुए बताया कि जिस प्रकार कुएं का पानी के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। उसी प्रकार भजन कीर्तन के बिना हमारे शरीर का भी कोई अस्तित्व नहीं है। मनुष्य शरीर को देवालय बनाना है या देहालय यह आपके हाथ में है। या तो सात्विक शाकाहारी भोजन एवं भजन कर शरीर को देवालय बना लो या मांसाहार शराब आदि दूषित खानपान से शरीर में व्याधियों का डेरा जमा कर शरीर को देहालय बना लो यह आपके हाथ में है।

संत श्री ने बताया कि सूर्यास्त में पढ़ाई करने से बुद्धि कुंठित होती है।कुछ भी खाने से रोग आता है,और सोना भी पाप है इसलिए सूर्यास्त के समय केवल भजन कीर्तन एवं भगवान का स्मरण करना चाहिए। संत श्री ने खाने एवं भोजन का अंतर बताते हुए मांसाहार एवं शराब के दोष बताते हुए इनका सेवन करने वाले लोगों को असुरों की संज्ञा दी। एवं अपने आहार मे 4 प्रकार का भोजन दुग्धाहार, शाकाहार, फलाहार एवं जलाहार लेने की बात कही।

संत श्री ने युवा पीढ़ी को बुजुर्ग माता-पिता की सेवा करने का आह्वान करते हुए इनके चरणों को सच्चे तीर्थ की संज्ञा देते हुए कहा कि माता पिता को डंडा मारने वाला राक्षस के समान होता है जिसे नरक में भी जगह नहीं मिलती। इस अवसर पर आयोजन समिति के द्वारा संत श्री का शाल श्रीफल एवं पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत सम्मान किया गया। संत श्री का परिचय स्वागत उद्बोधन एवं संचालन मुरलीधर लढा एवं आभार प्रदर्शन राजेंद्र मंडोवरा के द्वारा किया गया।

प्रवचन के पश्चात महा आरती कर महाप्रसादी का वितरण किया गया।

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