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गुरु प्रदोष व्रत के दिन करें भगवान शिव की आराधना, जानें मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

Neemuch Headlines April 28, 2022, 10:11 am Technology

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत आज 28 अप्रैल दिन गुरुवार को है.

यह अप्रैल का अंतिम प्रदोष व्रत है. गुरु प्रदोष व्रत के दिन शिव जी की पूजा करने से विरोधियों और शत्रुओं के बीच वर्चस्व स्थापित होता है, उनके विरुद्ध जीत हासिल होती है. प्रदोष व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, दुख, कष्ट, पाप, दारिद्रय आदि दूर होता है, सुख, संतान, आरोग्य, धन, संपत्ति आदि की प्राप्ति होती है.

 गुरु प्रदोष व्रत के मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में. गुरु प्रदोष व्रत पर बना रहा है सर्वार्थ सिद्धि योग, नोट करें पूजा मुहूर्त प्रदोष व्रत 2022 तिथि वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ: 28 अप्रैल, गुरुवार, 12:23 एएम परवैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का समापन: 29 अप्रैल, शुक्रवार, 12:26 एएम पर गुरु प्रदोष 2022 पूजा मुहूर्त 28 अप्रैल, शाम 06:54 बजे से रात 09:04 बजे तकसर्वार्थ सिद्धि योग: शाम 05:40 बजे से 29 अप्रैल, सुबह 05:42 बजे तकनक्षत्र: उत्तर भाद्रपद, शाम 05:40 बजे तक,

फिर रेवती नक्षत्रअभिजित मुहूर्त: 11:52 एएम से दोपहर 12:45 पीएम

तकराहुकाल: दोपहर 01:58 पीएम से 03:37 पीएम तक

प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि:-

1. प्रदोष व्रत से पूर्व ता​मसिक वस्तुओं का सेवन बंद कर दें. द्वादशी को शाकाहारी भोजन करें.

2. त्रयोदशी यानी प्रदोष व्रत के प्रात: स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें. फिर हाथ में जल, अक्षत् एवं फूल लेकर व्रत एवं पूजा का संकल्प करें.

3. दिन में आप दैनिक पूजन कर लें और फलाहार करते हुए व्रत रखें.

4. शाम के समय में प्रदोष मुहूर्त में किसी शिव मंदिर में जाएं या फिर घर पर ही शिवलिंग की पूजा करें.

5. सबसे पहले गंगाजल से भगवान शिव का जलाभिषेक करें. उसके बाद शिव जी का श्रृंगार करें. महादेव को सफेद चंदन, शहद, फूल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, बेलपत्र, भांग, मदार पुष्प, धतूरा आदि चढ़ाएं.

6. पूजा की सामग्री चढ़ाते समय ओम नम:​ शिवाय का जाप करते रहें. इसके पश्चात शिव चालीसा, शिव मंत्र का जाप करें. फिर गुरु प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें.

7. पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करके क्षमा प्रार्थना करें और मनोकामना व्यक्त कर दें. 8.

 उसके बाद प्रसाद वितरण करें. किसी ब्राह्मण को अन्न, फल, मिठाई दानकर कुछ दक्षिणा देकर विदा करें. उसके पश्चात पारण करके व्रत को पूरा करें.

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