खुश्की से बचने के लिए हम अंततः तेल की ही शरण में जाते हैं। आइए जानें 8 तरह के तेल और उनके फायदे
1.अलसी का तेल :-
इसके तेल में विटामिन 'ई' पाया जाता है। कुष्ठ रोगियों को इसके तेल का सेवन करने से अत्यंत लाभ होता है। आग से जले हुए घाव पर इसके तेल का फाहा लगाने से जलन और दर्द में तुरंत आराम मिलता है। अलसी को भूनकर बकरी के दूध में पकाकर पुल्टिस के बांधने से फोड़े का दर्द बंद हो जाता है और फोड़ा फूट जाता है।
2.एरंड का तेल :-
एरंड के तेल को एरंड और कैस्टर ऑइल कहते हैं। इस तेल का सेवन हृदय रोग, पुराना बुखार, पेट के वायु संबंधी रोग, अफरा, वायुगोला, शूल, कब्जियत और कृमि को दूर कर देता है। यह भूख को बढ़ाने वाला तथा यौवन को स्थिर रखने वाला होता है। शुद्ध तेल को एक छँटाक अथवा आधी छंटाक पीने से यह जुलाब का काम करता है। बेसन में इसके तेल को मिलाकर शरीर पर उबटन करने से चमड़ी का रंग साफ हो जाता है।
3.जैतून का तेल :-
जैतून के तेल को ऑलिव ऑइल कहते हैं। शरीर पर इसकी मालिश सर्दी को दूर करने वाली, सूजन मिटाने वाली, लकवा, गठिया, कृमि और वात रोगों से छुटकारे के लिए अत्यंत हितकारी होती है।
4.नारियल का तेल :-
नारियल के तेल में भी विटामिन 'ई' पाया जाता है। यह तेल ठंडा, मधुर, भारी, ग्राही, पित्तनाशक तथा बालों को बढ़ाने वाला होता है। इसे बालों में लगाने से बाल चिकने, काले, लंबे हो जाते हैं।
5.सरसों का तेल :-
सरसों के तेल में विटामिन ए, बी व ई पाए जाते हैं। यह गर्म होता है। इसमें नमक मिलाकर दांतों में मलने से दाँत दर्द, पायरिया रोग दूर होता है और दांत मजबूत होते हैं।
6.बिनौला तेल :-
इसके सेवन से स्तनों में अधिक दूध उत्पन्न होता है। फोड़ा, फुंसी, खुजली, सूजन, जोड़ों का दर्द,
7.राई का तेल :-
गठिया आदि रोगों को यह दूर करता है। राई का तेल, यह चर्म रोग को दूर करने वाला होता है। इसे सरसों के तेल की तरह ही खाने के उपयोग में लिया जाता है।
8.तिल का तेल :-
तिल का तेल स्वास्थ्य के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। यह मधुर, सूक्ष्म, कसैला, कामशक्ति बढ़ाने वाला होता है। इसके तेल में हींग और सौंठ मिलाकर गर्म करके शरीर पर मालिश करने से कमर, जोड़ों का दर्द, लकवा रोग मिट जाता है। यह खाने से ज्यादा मालिश में गुणकारी होता है।