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कोयले की किल्लत पर महाभारत, क्या दिवाली से पहले छा जाएगा अंधियारा?

Neemuch Headlines October 9, 2021, 7:42 pm Technology

नई दिल्ली। देश में कोयले के उत्पादन में कमी से इसका स्टॉक लगभग खत्म होने के कगार पर है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उपभोगकर्ता है। भारत में 70 ‍प्रतिशत बिजली उत्पादन कोयले से होता है। केंद्रीय ग्रिड ऑपरेटर के आंकड़े के अनुसार भारत के 135 बिजली संयंत्रों में से आधे से अधिक देश की करीब 70 प्रतिशत बिजली की आपूर्ति करते हैं। कोयले की कमी को लेकर राज्यों और केंद्र सरकार में तकरार भी चल रही है। इनके पास तीन दिनों से कम समय का ईंधन स्‍टॉक बचा है। ऐसे में देश में बिजली संकट गहरा सकता है। दिल्ली और उत्तरप्रदेश में आने वाले दिनों में भयावह बिजली संकट हो सकता है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली के कोयला संकट का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने दिल्ली में हो रही कोयले की कमी का जिक्र किया है। आखिर देश में क्यों आया कोयला संकट और क्या है

राज्यों की तैयारी- बिलकुल भी कोयला नहीं :-

दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि पूरे देश में कोयले से चलने वाले पावर प्लांट में कोयले की बहुत कमी है। दिल्ली को जिन प्लांट से बिजली आती है, उनमें 1 दिन का स्टॉक बचा है। कोयला ‍बिलकुल नहीं है। केंद्र सरकार से अपील है रेलवे वैगन का इस्तेमाल कर कोयला जल्द पहुंचाया जाए।

क्या हैं यूपी के हाल : -

उत्तरप्रदेश कोयले की कमी की वजह से करीब 2000 मेगावाट क्षमता की इकाइयां बंद करनी पड़ी हैं। उत्तरप्रदेश में बिजली की कटौती भी की जा रही है। उत्तरप्रदेश में बिजली की मांग लगभग 17000 मेगावाट है। जबकि मौजूदा समय में 15000 मेगावाट के आसपास बिजली उपलब्ध है। ऐसे में 1000 से 1500 मेगावाट तक की कटौती की जा रही है, इसका कारण कोयले की कमी माना जा रहा है। उत्तरप्रदेश के बिजली मंत्री का कहना है कि वे केंद्र सरकार पर निर्भर हैं। नवरात्रि और त्योहारों के समय रात में बिजली कटौती पर जनता में भी काफी रोष है।

प्रमुख शहरों में कटौती करेगा राजस्थान :-

राजस्‍थान सरकार ने शुक्रवार ऐलान किया था कि कोयले की देशव्‍यापी कमी के चलते एक घंटे की बिजली की कटौती की जाएगी। राजस्थान सरकार द्वारा संचालित सेवा ने कहा कि 10 प्रमुख शहरों में कटौती की जाएगी, जहां पर लाखों लोग रहते हैं।

क्यों बढ़ रही है कोयले की कीमतें :-

कोरोना महामारी की दूसरी लहर कमजोर होने के बाद औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आने से देश के साथ ही पूरी दुनिया में बिजली की मांग में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। आंकड़ों की बात करें तो 2019 के मुकाबले इस वर्ष के अगस्‍त-सितंबर माह में कोयले की खपत भी करीब 18 प्रतिशत तक बढ़ गई है। चूंकि मांग पूरी दुनिया में बढ़ी है, इसके चलते वैश्विक स्तर पर कोयले की कीमतों में 40 प्रतिशत इजाफा हुआ। इससे भारत का कोयला आयात गिरकर 2 साल के निम्नतम स्तर पर आ गया। इंडोनेशिया से ही आने वाले कोयले की कीमत करीब 60 डॉलर प्रतिटन से बढ़कर 200 डॉलर प्रति टन तक जा पहुंची है। भारत अपनी कोयला डिमांड का 30 प्रतिशत देश के बाहर से पूरा करता है।

इन देशों से करता है आयात :-

भारत का 20 लाख टन कोयला चीन के पोर्ट पर महीनों से फंसा हुआ है। यह कोयला भारत ने ऑस्ट्रेलिया से मंगवाया था। भारत को इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से भी कोयले का आयात करना पड़ता है। भारत में कुल आयातित होने वाले कोयले का 70 प्रतिशत ऑस्ट्रेलिया से आता है। दक्षिण भारत के बिजलीघर, झारखंड या छत्तीसगढ़ से कोयला मंगाने की बजाय ऑस्ट्रेलिया से कोयला मंगाते हैं।

बारिश भी बनी मुसीबत :-

देश में कुल कोयला डिमांड का 70 फीसदी भारत के कोयला रिजर्व या प्रॉडक्शन से पूरा होता है। देश में करीब 300 अरब टन कोयले का भंडार है। देश की लगभग तीन चौथाई कोयले की जरूरत घरेलू खानों से पूरी होती है, लेकिन भारी बारिश के चलते उनमें और ट्रांसपोर्ट रूट पर पानी भर गया है। ऐसे में कोयले से पावर प्लांट्स चलाने वाली कंपनियों के सामने दुविधा यह है कि नीलामी में जो भी कोयला मिले, उसके लिए ज्यादा प्रीमियम दें या विदेशी बाजार से मंगाएं, जहां पहले से कीमत रिकॉर्ड हाईलेवल पर है। खबरों के मुताबिक बारिश के चलते खानों में पानी भर जाने से पावर प्लांट्स को रोज 60 से 80 हजार टन कम कोयला मिल रहा है।

बकाया भुगतान का असर:-

कोल इंडिया लिमिटेड सरकारी कोयला कंपनी है, जो देश में खनन होने वाले कोयले में लगभग 80 प्रतिशत का योगदान देती है। कोल इंडिया ने भी कोयले की कीमत बढ़ा दी। कई सरकारी पावर जनरेशन कंपनियों की ओर से कोल इंडिया को भुगतान नहीं किया गया है। स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड्स पर भी कोल इंडिया का बकाया है। अगस्त माह में कोयला, खनन और संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में जानकारी दी थी कि 31 मार्च 2021 तक स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड और सरकारी पावर जनरेशन कंपनियों पर कोल इंडिया का कुल मिलाकर 21,619.71 करोड़ रुपए का बकाया था। बकाए का सीधा असर सप्लाई पर पड़ा है।

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