नई दिल्ली। जनहित याचिका को लेकर उच्चतम न्यायालय ने नसीहत देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को याचिका दायर करने से पहले मामले का होमवर्क अवश्य करना चाहिए और उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि वे हर चीज की मांग नहीं कर सकते। न्यायालय ने यह टिप्पणी नेशनल हेल्थ पॉलिसी पर अमल की गुहार को लेकर दाखिल जनहित याचिका मामले के दौरान की।
खबरों के अनुसार, हर मामले में जनहित याचिका लेकर उच्चतम न्यायालय की ओर आने वालों को न्यायालय ने हिदायत देते हुए कहा कि वे मामले का होमवर्क अवश्य करें और ध्यान में रखें कि वे हर चीज की मांग नहीं कर सकते। इस नसीहत के साथ ही जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने उस जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति-2017 को लागू करने, कोरोनावायरस से मृत लोगों के आश्रितों के लिए आजीविका की व्यवस्था करने और अन्य निर्देश देने की मांग की गई थी। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता अपनी अर्जी में डेटा पेश करें कि कहां क्या खामी है। जब आप अर्जी दाखिल करते हैं तो आपको मेहनत करना होगी। आप एक अर्जी दाखिल कर सूरज के नीचे सब कुछ के लिए नहीं कह सकते। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि किसी भी नीति को लेकर याचिका दायर करने पर उसमें कमी बताना जनहित याचिकाकर्ता का दायित्व है। याचिका में कुछ आंकड़े और उदाहरण भी होना चाहिए। याचिकाकर्ता हर बात न्यायालय या सरकार पर नहीं छोड़ सकता।