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राजस्थान कांग्रेस में खींचतान जारी: मैदान में फिर उतरे पायलट, गहलोत समर्थकों ने बनाई दूरी

Neemuch headlines August 26, 2021, 6:45 pm Technology

राजस्थान कांग्रेस में गहलोत-पायलट खेमे में चल रही खींचतान के बीच पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट जनता का रुख भांपने और समर्थकों में जोश भरने के लिए मैदान में उतर गए हैं। शुरुआत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र से कर सियासी हलचल और बढ़ा दी है।

सचिन पायलट की अब जनता के बीच रहकर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में दौरे करने की रणनीति है। उनके इस कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। ऐसे में अनुमान है कि आने वाले दिनों में प्रदेश कांग्रेस में सियासत के कई और रंग देखने को मिलेंगे। पायलट के रणनीतिकारों ने उनके दौरों की टाइमिंग का भी ध्यान रखा है। राजनीतिक महत्व वाले इलाकों का चयन कर उनमें पायलट के कार्यक्रम तय किए गए हैं।   इस तरह प्रदेश के हर इलाके में पायलट की पहुंच बनाने की रणनीति पर काम चल रहा है। पायलट जल्द ही नहरी इलाके का दौरा कर सकते हैं।  बताया जा रहा है कि पायलट के इन दौरों के पीछे अपने समर्थकों में जोश भरने की कवायद है।  सियासी जानकारों का मानना है कि सचिन पायलट जनता के बीच रहकर जननेता की छवि बनाना चाहते हैं, इसलिए इलाके वार दौरे करने की रणनीति अपनाई है। वे सियासी अहमियत रखने वाले हर इलाके में कार्यक्रमों करने की तैयारी में है। पायलट ने पिछले तीन दिन में बाड़मेर, जोधपुर, अजमेर और अलवर जिले के दौरे कर चुके  हैं।  

गहलोत समर्थकों ने बनाई दूरी:-

सचिन पायलट के जोधपुर व बाड़मेर जिले के दौरों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थक कोई भी विधायक और नेता उनका स्वागत करने के लिए नहीं पहुंचा। इससे अंदाजा लगाया  जा सकता है कि गहलोत और पायलट खेमों के बीच छत्तीस का आंकड़ा कम होने की कोई उम्मीद नहीं है। दरअसल पिछले लंबे समय से दोनों खेमों के बीच चल रही खींचतान से यह संदेश जा रहा है कि कांग्रेस की सियासत में गहलोत विरोधियों के नेता के तौर पर सचिन पायलट शीर्ष पर हैं। पायलट का फोकस धरातल पर काम कर अब जनता से जुड़ाव पर है। 

दौरों की टाइमिंग के मायने:-

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोरोना संक्रमण का हवाला देकर फिलहाल जनता के बीच नहीं जा रहे हैं। वह पूरे कोरोना काल में ही जयपुर से बहुत कम बार बाहर गए हैं। इतनी ही नहीं अपने गृह जिले जोधपुर भी नहीं गए। ऐसे में सचिन पायलट ने दौरे करने की पहल कर बढ़त बना ली है। पायलट के मैदान में उतरने से कांग्रेस में अंदरूनी कलह बढ़ेगी और फिर दोनों के बीच मौदानी दौरों पर निकलने को लेकर तुलना भी होने लगेगी। इन्हीं सियासी कारणों से उन्होंने लगातार जनता के बीच सक्रिय रहने की रणनीति बनाई है। साथ ही पंचायती राज चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवारों के चुनाव कार्यालयों के उद्घाटन कर पार्टी के लिए धरातल पर काम करने का  संदेश देने की भी कवायद कहा जा सकता है।

क्षेत्रीय-जातीय समीकरण साधने की कवायद:-

सचिन पायलट दौरे करके क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने की कवायद में भी जुटे हैं। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक पायलट विरोधी खेमे को सियासी जवाब देने के लिए अब जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने के लिए हर क्षेत्र में जाने की रणनीति बनाई है। इलाकेवार सियासी महत्व की जगहों पर जाकर लोगों और प्रभाव वाले नेताओं से मुलाकात इसी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।

पायलट खेमे के मुद्दे अब भी अनसुलझे:-

सचिन पायलट और उनके खेमे के विधायक-नेता पिछले साल सुलह के वक्त तय मुद्दों के समाधान की राह देख रहे हैं। बगावत के बाद सुलह को 13 माह से ज्यादा का वक्त बीत गया है, लेकिन मुद्दे अब तक अनसुलझे हैं।  दरअसल पायलट खेमा जल्द मंत्रिमंडल विस्तार व राजनीतिक और संगठनात्मक नियुक्तियां चाहता है और इन नियुक्तियों में बराबर की हिस्सेदारी पर पेंच अटका हुआ है।

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