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केवल यूट्यूब पर सीखकर गाँव के बस कंडक्टर ने खेती करते हुए लगा दी पपीतों की झड़ी, होसले बड़े हो तो हर राह आसान होती है , साबित कर दिखाया 2 दोस्तों ने

संजय नागौरी August 9, 2021, 5:13 pm Technology

दड़ौली। खेती को मेहनत और नई तकनीकी से की जाए तो वह बड़ा लाभ भी देती है। यह साबित कर दिखाया है गांव के 10 वी पास युवक मोहम्मद शरीफ मंसूरी ने। लगभग 8 वर्ष पूर्व निजी बसों पर कंडक्टर का कार्य कर रहे शरीफ ने माता पिता की सेवा के चलते खेती को प्राथमिकता देना तय किया। नया ट्रैक्टर व कृषि उपकरण लाकर किराए चला रहे शरीफ को बीते वर्ष हरिपुरा निवासी जब्बार हुसैन का साथ मिला। दोनो ने मिलकर अगस्त माह में दो बीघा खेत मे पपीते की फसल उगाई। बिना बागड़ के खेत मे नीलगाय, आवारा पशुओं, अल्पवर्षा के चलते पानी की भयंकर कमी जैसी समस्याओं के चलते भी दोनो ने मेहनत कर अपने पौधों को न केवल जिंदा रखा, वरन पर्याप्त ग्रोथ दी। दोनो यू ट्यूब पर देखकर पौधों की देखभाल करते रहे। ढाई वर्षीय इस पौधे पर अब फल की आवक शुरू हो गई है। ये पौधे साल भर तक फसल देंगे। अक्टोबर से लेकर जनवरी तक के समय में ये पौधे भरपूर फसल देंगे। अभी लगभग 5 फ़ीट ऊंचे पौधे 8 फ़ीट तक की ऊंचाई ले लेंगे। नीमच बाजार में अभी प्रारंभ में 15 से 20 कैरेट रोज 30 से 35 रु किलो के भाव से बेच रहे है। 250 ग्राम से लेकर 2 किलो तक हर वजन की पपीता दवाइयों रासायनिक खादों के न्यूनतम उपयोग के चलते प्राकृतिक मिठास से भरपूर हैं। मो शरीफ ने बताया कि सबसे ज्यादा परेशानी पौधों को पानी पिलाने ओर जानवरों से सुरक्षा को लेकर आई। पूरी रात दोनो बारी बारी से निगरानी करते थे।गर्मी में पानी की कमी को दूर करने के लिए दो नए बोरवेल खुदवाए। तीसरे बोरवेल में मिले एक इंच पानी ने इस खेती को लाभ में ला दिया। मो शरीफ को दुख है कि शासन कृषि को लाभ का धन्धा बनाने के बड़े बड़े दावे कर रहा है, लेकिन इस फसल पर कोई सहायता नही देता। शासन को पौधा रोपण, ड्रिप ओर सुरक्षा के लिए बागड़ जैसी व्यवस्थाओ पर किसानों को अनुदान देना चाहिए। किसान मित्र और बीत रहे पंचायत कार्यकाल में दड़ौली पंचायत के उपसरपंच का दायित्व निभा चुके मो शरीफ की इच्छा है कि जिलाधीश महोदय एक बार मेरे खेत पर आए, मेरे लिए सबसे बड़ा पुरुस्कार होगा।

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